RARE EARTH ELEMENTS IN INDIA
भारत में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements in India
रेयर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements - REEs) वे रासायनिक तत्व हैं जो आधुनिक तकनीक, रक्षा, ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में इन तत्वों की उपलब्धता, खनन, प्रसंस्करण और रणनीतिक उपयोग पर तेजी से ध्यान दिया जा रहा है।
✅ भारत में पाए जाने वाले प्रमुख रेयर अर्थ तत्व:
भारत में लगभग 35% REEs की उपस्थिति मोनाज़ाइट (Monazite) नामक खनिज में पाई जाती है, जो विशेष रूप से समुद्र तट की रेत (Beach Sand Minerals) में पाया जाता है। मोनाज़ाइट में थोरियम, लैंथेनम, सेरियम, नियोडिमियम, प्रासियोडिमियम जैसे तत्व पाए जाते हैं।
✅ भारत में प्रमुख भंडार (Reserves):
भारत में REEs के प्रमुख भंडार पूर्वी और दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में हैं:
- ओडिशा (Odisha) – गंजाम तट पर
- तमिलनाडु – मनावलाकुरिची और कुडनकुलम
- केरल – कोल्लम (चावरा तट)
- आंध्र प्रदेश – श्रीकाकुलम तट
- झारखंड और छत्तीसगढ़ – कुछ आंतरिक इलाकों में भी दुर्लभ तत्वों की संभावनाएँ पाई गई हैं।
✅ भारत में खनन और उत्पादन:
भारत में REEs का खनन और प्रसंस्करण मुख्य रूप से Indian Rare Earths Limited (IREL) द्वारा किया जाता है, जो भारतीय परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy) के अंतर्गत आता है। IREL देश के कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में समुद्र तट रेत से मोनाज़ाइट निकालती है और फिर उससे REEs प्राप्त किए जाते हैं।
✅ भारत की रणनीतिक पहल:
- भारत सरकार ने "आत्मनिर्भर भारत" अभियान के तहत REEs के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की रणनीति बनाई है।
- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक समझौता हुआ है जिससे भारत को रिफाइंड REEs की आपूर्ति में मदद मिलेगी।
- भारत स्वदेशी तकनीक विकसित कर रहा है ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके।
✅ चुनौतियाँ:
- प्रसंस्करण तकनीक अभी सीमित है।
- रेडियोधर्मी तत्वों के साथ मिश्रण होने के कारण पर्यावरणीय खतरे।
- चीन का वैश्विक वर्चस्व, जिससे प्रतिस्पर्धा कठिन हो जाती है।
✅ निष्कर्ष:
भारत में REEs की उपस्थिति रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यदि भारत इन संसाधनों का प्रभावी ढंग से दोहन करता है, तो वह वैश्विक तकनीकी और रक्षा आपूर्ति शृंखला में एक मजबूत स्थान बना सकता है।
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