RASTHALI BANANA
रसथाली केला
रसथाली केला (Rasthali Banana) दक्षिण भारत की एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय केला किस्म है। यह विशेष रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में उगाई जाती है। रसथाली अपने मीठे, सुगंधित और रसीले गूदे के कारण बहुत पसंद की जाती है। इसका स्वाद आम के समान होता है, इसलिए इसे “केला का राजा” भी कहा जाता है।
रसथाली केले का आकार मध्यम और थोड़ा मोटा होता है। इसका छिलका पकने पर हल्का पीला हो जाता है और गूदा बहुत ही नरम, रसीला और मीठा होता है। यह किस्म आमतौर पर ताज़ा खाने के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन कई स्थानों पर इसका उपयोग मिठाइयों और प्रसाद में भी किया जाता है।
इस किस्म का पौधा मध्यम ऊँचाई का होता है और यह 12 से 14 महीनों में फल देता है। हालांकि यह रोगों और कीटों के प्रति थोड़ा संवेदनशील होता है, लेकिन यदि इसकी उचित देखभाल की जाए तो यह अच्छा उत्पादन देता है। इसकी खेती में अधिक नमी और जैविक खादों की जरूरत होती है।
पोषण की दृष्टि से रसथाली केला कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम, फाइबर, विटामिन B6 और विटामिन C से भरपूर होता है। यह शरीर को ऊर्जा देता है, पाचन तंत्र को सुधारता है और हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
निष्कर्ष:
रसथाली केला स्वाद, सुगंध और पौष्टिकता के लिए प्रसिद्ध है। यह न केवल दक्षिण भारत की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी लाभदायक माना जाता है। इसकी मिठास और कोमलता इसे भारत के बेहतरीन केलों में से एक बनाती है।
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