ROSS ISLAND ANDAMAN

 

रॉस द्वीप 

रॉस द्वीप, जो अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से जाना जाता है, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर के पास स्थित एक ऐतिहासिक द्वीप है। यह द्वीप भारत के स्वतंत्रता संग्राम और ब्रिटिश शासन के अत्याचारों का साक्षी रहा है।

ब्रिटिश काल में रॉस द्वीप अंडमान की ब्रिटिश प्रशासनिक राजधानी हुआ करता था। यहाँ पर ब्रिटिश अधिकारियों के आवास, चर्च, अस्पताल, बाजार, जलाशय और क्लब जैसी आधुनिक सुविधाएँ थीं। यह द्वीप ब्रिटिश उपनिवेशवाद का प्रतीक माना जाता था।

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद जब अंडमान को "काला पानी" के दंडस्थल के रूप में विकसित किया गया, तब रॉस द्वीप को ब्रिटिश अधिकारियों का मुख्यालय बनाया गया। यहाँ से वे सेल्युलर जेल समेत पूरे अंडमान पर नियंत्रण रखते थे।

लेकिन 1941 में आए एक शक्तिशाली भूकंप और फिर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी हमले के बाद यह द्वीप उजड़ गया। जापानी सेनाओं ने कुछ समय तक इस पर कब्ज़ा भी किया। बाद में इसे त्याग दिया गया और प्रकृति ने इसे धीरे-धीरे अपने में समा लिया।

आज रॉस द्वीप एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। यहाँ के खंडहरों में इतिहास की झलक मिलती है। पुराने चर्च, जेल, कार्यालय, और घरों के अवशेष अब पेड़ों और लताओं से ढँक चुके हैं, जो इसे एक रहस्यमय और रोमांचक रूप देते हैं।

रॉस द्वीप पर एक लाइट एंड साउंड शो भी आयोजित किया जाता है, जिसमें ब्रिटिश कालीन इतिहास को जीवंत रूप में दर्शाया जाता है।

रॉस द्वीप आज भी अतीत की स्मृतियों को समेटे हुए, भारत की आज़ादी और साहस की कहानियों को मौन रूप से सुनाता है।

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