CHITRAGUPTA PUJA
चित्रगुप्त पूजा
चित्रगुप्त पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दीपावली के दूसरे दिन यानी यम द्वितीया या भाई दूज के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की आराधना की जाती है, जिन्हें कर्मों के लेखा-जोखा रखने वाला देवता माना जाता है। भगवान चित्रगुप्त को यमराज का सहायक कहा गया है, जो प्रत्येक जीव के कर्मों का हिसाब रखते हैं।
पुराणों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने मनुष्यों के कर्मों का लेखा रखने के लिए चित्रगुप्त का सृजन किया था। इसलिए उन्हें कायस्थ समाज का आराध्य देव माना जाता है। कहा जाता है कि चित्रगुप्त जी के पास “अमर पाताल” नामक एक दिव्य ग्रंथ है, जिसमें हर मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का विवरण अंकित होता है। मृत्यु के बाद यमलोक में इन्हीं कर्मों के आधार पर व्यक्ति को स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है।
इस दिन विशेष रूप से कायस्थ समाज के लोग चित्रगुप्त जी की पूजा बड़े उत्साह से करते हैं। पूजा के समय कलम, दवात, कागज, खाते-बही और पुस्तकों की आराधना की जाती है, क्योंकि चित्रगुप्त जी को लेखन और ज्ञान का देवता भी माना गया है। कई जगह लोग इस दिन अपने पुराने खातों को बंद कर नए खातों की शुरुआत करते हैं, जिसे “खाता-पूजन” कहा जाता है।
चित्रगुप्त पूजा का उद्देश्य हमें यह याद दिलाना है कि हर व्यक्ति को अपने कर्मों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि अच्छे कर्म ही जीवन में सच्ची सफलता और सम्मान दिलाते हैं।
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