GOVARDHAN PARWAT

 

गोवर्धन पर्वत 

गोवर्धन पर्वत भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा जिले के पास स्थित एक पवित्र स्थल है। यह पर्वत भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है और हिंदू धर्म में इसका विशेष धार्मिक महत्व है। गोवर्धन पर्वत को “गिरिराज” के नाम से भी जाना जाता है और इसे भगवान कृष्ण का ही स्वरूप माना जाता है।

धार्मिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण बाल्यकाल में वृंदावन में थे, तब उन्होंने देखा कि लोग इंद्र देव की पूजा कर रहे हैं। श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि हमें इंद्र नहीं, बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यही पर्वत वर्षा, अन्न और जीवन का आधार है। इससे इंद्र देव क्रोधित हो गए और उन्होंने लगातार वर्षा कर दी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और गांववालों तथा पशुओं को उसकी छाया में सुरक्षित रखा।

यह घटना भगवान की महानता और करुणा का प्रतीक है। तभी से हर वर्ष दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में लोग गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं और उसका पूजन करते हैं।

गोवर्धन पर्वत आज भी एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। श्रद्धालु यहाँ “गोवर्धन परिक्रमा” करते हैं, जो लगभग 21 किलोमीटर लंबी होती है। माना जाता है कि इस परिक्रमा से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

संक्षेप में, गोवर्धन पर्वत न केवल भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमें प्रकृति के प्रति आभार और संरक्षण का संदेश भी देता है। यह पर्वत भक्ति, आस्था और पर्यावरण के संतुलन का अद्भुत प्रतीक है।

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