GANDHARI
महाभारत की गांधारी
गांधारी महाभारत की एक प्रमुख और आदर्श महिला पात्र थीं। वे गांधार देश के राजा सुबल की पुत्री और हस्तिनापुर के अंधे राजा धृतराष्ट्र की पत्नी थीं। गांधारी को उनकी महान त्याग, पतिव्रता और धर्मनिष्ठा के लिए जाना जाता है।
जब गांधारी को यह पता चला कि उनके होने वाले पति धृतराष्ट्र अंधे हैं, तो उन्होंने स्वयं अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली और जीवनभर अंधकार में रहने का संकल्प लिया। उनका यह निर्णय त्याग और सहानुभूति का प्रतीक था। उन्होंने यह दिखाया कि सच्चा प्रेम केवल सुख-सुविधा में नहीं, बल्कि जीवन के हर कठिन क्षण में साथ निभाने में है।
गांधारी ने सौ पुत्रों और एक पुत्री का जन्म दिया, जिनमें ज्येष्ठ पुत्र दुर्योधन था। वे अपने पुत्रों से अत्यधिक स्नेह करती थीं, लेकिन जब वे अधर्म के मार्ग पर चले, तब उन्होंने उन्हें रोकने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने कई बार धृतराष्ट्र और दुर्योधन को धर्म का पालन करने की सलाह दी, किंतु किसी ने उनकी बात नहीं मानी।
महाभारत के युद्ध में जब उनके सभी पुत्र मारे गए, तो गांधारी अत्यंत दुखी हुईं। उन्होंने श्रीकृष्ण को युद्ध रोकने में असफल रहने के लिए दोषी ठहराया और क्रोध में उन्हें श्राप दिया कि उनका वंश भी नष्ट हो जाएगा।
गांधारी का चरित्र भारतीय नारी की दृढ़ता, त्याग और धर्मपरायणता का प्रतीक है। उन्होंने जीवनभर अपने कर्तव्य और पतिव्रता धर्म का पालन किया।
संक्षेप में, गांधारी एक ऐसी स्त्री थीं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और संयम का उदाहरण प्रस्तुत किया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्य, धर्म और त्याग ही मनुष्य के चरित्र की सच्ची पहचान हैं।
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