GOVARDHAN PUJA
गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण, गायों और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन में थे, तब वहां के लोग इंद्र देव की पूजा करते थे ताकि वर्षा होती रहे। लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि हमें इंद्र की नहीं, बल्कि गोवर्धन पर्वत और प्रकृति की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि वही हमें भोजन, जल और जीवन देते हैं। इससे इंद्र देव क्रोधित हुए और उन्होंने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी ग्रामीणों तथा गायों को उसकी छाया में सुरक्षित रखा। इस घटना के उपलक्ष्य में हर वर्ष गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।
इस दिन लोग अपने घरों में या मंदिरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं और उसका विधिवत पूजन करते हैं। अन्नकूट का विशेष महत्व होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। यह पर्व प्रकृति और पशुओं के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।
गोवर्धन पूजा के दिन लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं, घरों को सजाते हैं और धार्मिक गीत गाते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और उसके संरक्षण के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
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