38th Parallel

 

38वीं समानांतर रेखा (38th Parallel) 

38वीं समानांतर रेखा पृथ्वी की भूमध्य रेखा से 38 डिग्री उत्तर अक्षांश पर स्थित एक काल्पनिक रेखा है, जो विशेष रूप से कोरिया प्रायद्वीप के संदर्भ में प्रसिद्ध है। यह रेखा उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच की एक ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमा रेखा रही है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में जब जापान ने कोरिया को छोड़ा, तब कोरिया को अस्थायी रूप से दो भागों में बाँटा गया। अमेरिका और सोवियत संघ के बीच समझौते के तहत 38वीं समानांतर रेखा को विभाजन रेखा बनाया गया, जिसके उत्तर में सोवियत समर्थित उत्तर कोरिया और दक्षिण में अमेरिकी समर्थित दक्षिण कोरिया की स्थापना हुई।

1950 में उत्तर कोरिया ने 38वीं समानांतर रेखा को पार कर दक्षिण कोरिया पर आक्रमण किया, जिससे कोरियाई युद्ध शुरू हुआ। यह युद्ध 1953 में एक युद्धविराम समझौते पर समाप्त हुआ, परंतु स्थायी शांति समझौता कभी नहीं हुआ। वर्तमान में भी उत्तर और दक्षिण कोरिया तकनीकी रूप से युद्ध की स्थिति में हैं।

आज 38वीं समानांतर रेखा के पास स्थित क्षेत्र को डीएमज़ (Demilitarized Zone - असैन्यीकृत क्षेत्र) कहा जाता है, जो लगभग 250 किलोमीटर लंबा और 4 किलोमीटर चौड़ा है। यह क्षेत्र अत्यधिक सुरक्षा वाला है और पर्यटकों के लिए भी सीमित रूप से खुला रहता है।

38वीं समानांतर रेखा न केवल कोरिया के विभाजन की प्रतीक है, बल्कि यह शीत युद्ध की वैचारिक खाई – पूँजीवाद और साम्यवाद – का भी प्रतिनिधित्व करती है। यह रेखा आज भी एशिया के सबसे संवेदनशील और तनावपूर्ण क्षेत्रों में से एक मानी जाती है।

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