GANGA BHATT

 

गंगा भट्ट – शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के प्रतिष्ठित वेदज्ञ 

गंगा भट्ट एक सुप्रसिद्ध वेदाचार्य और ब्राह्मण विद्वान थे, जिन्हें विशेष रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के लिए काशी (वर्तमान वाराणसी) से आमंत्रित किया गया था। वे 17वीं शताब्दी के अत्यंत प्रतिष्ठित और प्रख्यात विद्वानों में से एक माने जाते थे। उन्हें वेद, पुराण, स्मृति, और धर्मशास्त्रों का गहरा ज्ञान था।

जब शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की स्थापना की और राज्याभिषेक की योजना बनाई, तब कुछ विरोधियों ने उनकी जाति और क्षत्रिय होने पर संदेह व्यक्त किया। इस विवाद को दूर करने के लिए गंगा भट्ट को आमंत्रित किया गया, ताकि वे शिवाजी के वंश और जातिगत पृष्ठभूमि की जांच कर उचित धार्मिक और वैदिक आधार पर उन्हें राज्याभिषेक का अधिकारी घोषित करें।

गंगा भट्ट ने शिवाजी महाराज के कुल-वंश और भोसले परिवार के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन किया। उन्होंने यह निर्णय दिया कि शिवाजी सूर्यवंशी क्षत्रिय हैं और वे राज्याभिषेक के पूर्ण अधिकार रखते हैं। इसके बाद उन्होंने 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में शिवाजी का वेदोक्त राज्याभिषेक विधिपूर्वक सम्पन्न कराया।

गंगा भट्ट की इस घोषणा ने न केवल शिवाजी की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को सशक्त किया, बल्कि मराठा साम्राज्य को धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता भी दिलाई। राज्याभिषेक के बाद गंगा भट्ट को शिवाजी महाराज ने आदरपूर्वक सम्मानित किया और दान-दक्षिणा प्रदान की।

निष्कर्षतः, गंगा भट्ट का योगदान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने एक ऐतिहासिक क्षण को वैदिक प्रमाणिकता देकर मराठा स्वराज्य को धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार प्रदान किया। वे भारतीय इतिहास में एक विद्वान धर्मगुरु और निर्णायक व्यक्तित्व के रूप में स्मरणीय हैं।

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