BHOSALE
भोसले वंश – मराठा शक्ति का आधार
भोसले वंश मराठा इतिहास का एक प्रमुख और प्रतिष्ठित वंश है, जिसने 17वीं और 18वीं शताब्दी में भारत के राजनीतिक और सैन्य इतिहास को नई दिशा दी। इस वंश ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी और उसे उत्तर, दक्षिण और पूर्व भारत तक फैलाया। भोसले परिवार का मूल निवास महाराष्ट्र में माना जाता है।
भोसले वंश की सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक शख्सियत छत्रपति शिवाजी महाराज थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना 1674 में रायगढ़ किले में अपने राज्याभिषेक के साथ की। शिवाजी महाराज के पिता शाहजी भोसले एक साहसी और चतुर सेनानायक थे, जिन्होंने बीजापुर और अहमदनगर की सेवा में रहकर मराठों की शक्ति को मजबूत किया। शिवाजी की माता जीजाबाई ने उन्हें राष्ट्र, धर्म और न्याय का पाठ पढ़ाया।
शिवाजी महाराज के बाद उनके पुत्र शंभाजी भोसले, फिर राजाराम और तारा बाई ने साम्राज्य को संभाला। आगे चलकर छत्रपति शाहूजी भोसले के शासनकाल में मराठा पेशवाओं का प्रभाव बढ़ा और मराठा सत्ता ने पूरे भारत में अपना प्रभाव स्थापित किया।
भोसले वंश के कई शाखाएं थीं – जैसे नागपुर के भोसले, तंजावुर के भोसले, और सातारा के भोसले, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में शासन किया। नागपुर के भोसले, खासकर रघुजी भोसले, ने बंगाल और उड़ीसा तक मराठा शक्ति का विस्तार किया।
भोसले वंश का शासन न केवल युद्ध नीति और किलेबंदी के लिए प्रसिद्ध था, बल्कि उन्होंने प्रशासन, न्याय, धार्मिक सहिष्णुता और लोकहित को भी प्राथमिकता दी। आज भी यह वंश भारत के इतिहास में वीरता, स्वाभिमान और मराठा गौरव का प्रतीक माना जाता है।
Comments
Post a Comment