GANIMI KAWA

 

गणिमी कावा – शिवाजी महाराज की अद्वितीय युद्धनीति 

गणिमी कावा छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा अपनाई गई एक अद्वितीय और प्रभावशाली गुरिल्ला युद्धनीति थी, जो मराठा सैन्य शक्ति की सफलता का मूल आधार बनी। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य था – दुश्मन पर अचानक हमला करना, उसे भ्रमित करना और फिर तेज़ी से पीछे हट जाना। यह नीति विशेष रूप से उन परिस्थितियों में कारगर सिद्ध हुई, जब मराठा सेना संख्या और संसाधनों में मुग़लों, बीजापुर या आदिलशाही सेनाओं से कमजोर होती थी।

"गणिमी" का अर्थ होता है – दुश्मन, और "कावा" का अर्थ है – चाल या युक्ति। इस प्रकार "गणिमी कावा" का आशय हुआ – दुश्मन को धोखे में रखकर उसे चतुराई से हराने की रणनीति। शिवाजी महाराज ने इस नीति का इस्तेमाल अपने किलों की रक्षा, मार्गों की निगरानी, और दुश्मन के शिविरों पर अचानक छापेमारी में बखूबी किया।

गणिमी कावा में छोटे-छोटे दलों द्वारा पहाड़ी और जंगलों में छिपकर हमला किया जाता था। सैनिक तेज़ गति से आते, हमला करते और बिना रुके सुरक्षित स्थान पर लौट जाते। इससे दुश्मन भ्रमित हो जाता और उसकी सेना बिखर जाती। यह नीति विशेष रूप से सह्याद्रि की पर्वतमाला, संकरे घाटों और किलों के बीच उपयोग की गई।

शिवाजी महाराज ने यह नीति अफ़ज़ल खान, शाइस्ता खान, और औरंगज़ेब जैसे शक्तिशाली शत्रुओं के विरुद्ध सफलतापूर्वक अपनाई। यह नीति केवल युद्ध की नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता, पर्यावरण की जानकारी और समय की सटीक गणना की मिसाल है।

गणिमी कावा आज भी सैन्य रणनीति के क्षेत्र में एक प्रेरणास्पद और अद्वितीय उदाहरण माना जाता है, जो शिवाजी महाराज की युद्धकला और दूरदर्शिता को दर्शाता है।

Comments

Popular posts from this blog

MAHUA BAGH GHAZIPUR