TORNA FORT
तोरणा किला – शिवाजी महाराज की पहली विजय
तोरणा किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक दुर्ग है, जिसे “प्रचंडगढ़” भी कहा जाता है। यह किला सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला की ऊँचाइयों पर स्थित है और समुद्र तल से लगभग 4,603 फीट की ऊँचाई पर है। तोरणा किला न केवल अपनी भौगोलिक स्थिति और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय भी है।
सन् 1646 में, जब शिवाजी मात्र 16 वर्ष के थे, उन्होंने अपनी सैन्य और रणनीतिक कौशल का परिचय देते हुए तोरणा किले को बीजापुर सुल्तानate से जीत लिया। यह शिवाजी की पहली विजय थी, जिसने मराठा साम्राज्य की नींव रखी। इस विजय के बाद ही उन्हें एक कुशल सेनानायक और भविष्य के महान शासक के रूप में पहचाना जाने लगा। शिवाजी ने इस किले का नाम बदलकर "प्रचंडगढ़" रखा, जो उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस का प्रतीक बन गया।
तोरणा किले में कई दर्शनीय स्थल हैं जैसे कि ‘बिनी दरवाजा’, ‘कोठी दरवाजा’, ‘सांधन बुर्ज’, और ‘झुंजार माची’। किले के भीतर प्राचीन मंदिर, जलकुंड और गुप्त मार्ग भी स्थित हैं जो उसकी रणनीतिक महत्ता को दर्शाते हैं। यहाँ से रायगढ़, राजगढ़ और लिंगाणा जैसे अन्य किलों का स्पष्ट दृश्य मिलता है, जो इसे एक प्रमुख सैन्य चौकी बनाता था।
आज तोरणा किला साहसिक ट्रैकिंग के लिए भी प्रसिद्ध है और इतिहास प्रेमियों के लिए एक प्रेरणास्रोत स्थल है। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज के अद्भुत नेतृत्व और स्वराज्य के प्रति समर्पण का प्रतीक बन चुका है।
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