SAHYADRI MOUNTAIN RANGE
सह्याद्रि पर्वतमाला – प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक गौरव
सह्याद्रि पर्वतमाला, जिसे पश्चिमी घाट (Western Ghats) भी कहा जाता है, भारत की एक प्रमुख पर्वतमाला है। यह पर्वतमाला महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्यों से होकर लगभग 1,600 किलोमीटर की लंबाई में फैली हुई है। यह पर्वत श्रृंखला पश्चिमी भारत के तटवर्ती भागों में अरब सागर के समानांतर चलती है और इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
सह्याद्रि पर्वतमाला का इतिहास, भूगोल, जैव विविधता और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्वत श्रृंखला प्राचीन काल से ही धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से पूज्य रही है। पुराणों में इसका उल्लेख आता है और इसे "भू-स्वर्ग" की संज्ञा दी गई है। यह क्षेत्र अनेक नदियों का उद्गम स्थल है, जैसे गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और ताप्ती। इन नदियों के कारण यह पर्वतमाला भारत के दक्षिणी भाग के कृषि और जीवन का आधार है।
सह्याद्रि पर्वत श्रेणी में घने वर्षावन, दुर्लभ वनस्पतियाँ, और अनेक जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ की जैव विविधता भारत में सबसे अधिक मानी जाती है। अनेक अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान जैसे कि कुद्रेमुख, सिलेंड्रा घाटी, एराविकुलम और पेरियार इसी क्षेत्र में स्थित हैं।
इतिहास की दृष्टि से भी सह्याद्रि का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्वतमाला मराठा साम्राज्य की रक्षा का आधार बनी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने सह्याद्रि की ऊँचाइयों और किलों का उपयोग कर मुग़लों और बीजापुर सल्तनत के विरुद्ध सफलतापूर्वक गुरिल्ला युद्ध किया। राजगढ़, तोरणा, रायगढ़, प्रतापगढ़ और हरिश्चंद्रगढ़ जैसे किले इसी पर्वतमाला पर स्थित हैं।
सह्याद्रि पर्वतमाला आज भी ट्रेकिंग, पर्यटन और अध्यात्म के लिए एक प्रमुख स्थल है। यहाँ की हरियाली, झरने, घाटियाँ और पर्वतीय रास्ते प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करते हैं।
निष्कर्षतः, सह्याद्रि पर्वतमाला न केवल भौगोलिक और पारिस्थितिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक गौरव का भी प्रतीक है। यह पर्वतमाला प्रकृति और पराक्रम का अद्भुत संगम है।
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