FUMIHIKO MAKI

 

फुमिहिको माकी 

फुमिहिको माकी जापान के विश्वप्रसिद्ध वास्तुकार (Architect) हैं, जिन्हें आधुनिक स्थापत्य कला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 6 सितंबर 1928 को जापान के टोक्यो शहर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा टोक्यो विश्वविद्यालय से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (अमेरिका) से की। माकी आधुनिकता और परंपरा के सुंदर संतुलन के लिए प्रसिद्ध हैं।

फुमिहिको माकी की वास्तुकला शैली में सरलता, पारदर्शिता और प्राकृतिक प्रकाश का विशेष महत्त्व है। उन्होंने अपने डिज़ाइनों में इस बात पर ज़ोर दिया कि इमारतें सिर्फ संरचनाएँ नहीं होतीं, बल्कि वे मानव जीवन और समाज से जुड़ी होती हैं। उनके कार्यों में जापानी सौंदर्यबोध और आधुनिक तकनीक का सुंदर मेल दिखाई देता है।

उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियाँ हैं — हिलसाइड टैरेस (टोक्यो), माकुहारी मेशी हॉल, येरूशलेम का म्यूज़ियम ऑफ़ टॉलरेंस, और टोक्यो मेट्रोपॉलिटन जिम्नेज़ियम। भारत में उन्होंने पटना स्थित बिहार संग्रहालय का डिज़ाइन तैयार किया, जो आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत उदाहरण माना जाता है। इस संग्रहालय की वास्तुकला में खुले स्थान, प्राकृतिक रोशनी और कलात्मक गलियारों का शानदार संयोजन देखा जा सकता है।

फुमिहिको माकी को उनकी उत्कृष्ट कला के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है प्रित्ज़कर आर्किटेक्चर पुरस्कार (1993), जिसे स्थापत्य कला का “नोबेल पुरस्कार” कहा जाता है।

फुमिहिको माकी ने अपने कार्यों से यह सिद्ध किया कि वास्तुकला केवल इमारतें बनाने की कला नहीं, बल्कि संस्कृति, प्रकृति और मानवता को जोड़ने का माध्यम है।

इस प्रकार, फुमिहिको माकी आधुनिक वास्तुकला के ऐसे महान शिल्पी हैं, जिनका कार्य विश्वभर में रचनात्मकता और सौंदर्य का प्रेरणास्रोत बना हुआ है।

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