VANDE MATARAM
वंदे मातरम्
वंदे मातरम् हमारा राष्ट्रीय गीत है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में करोड़ों भारतीयों के हृदय में देशभक्ति की ज्वाला प्रज्वलित की। इस गीत की रचना महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी। उन्होंने इसे अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में 1882 में शामिल किया। वंदे मातरम् के शब्दों में माँ भारती की आराधना और उसके प्रति असीम प्रेम की भावना व्यक्त होती है।
यह गीत संस्कृत और बांग्ला भाषा के मिश्रण में लिखा गया है। “वंदे मातरम्” का अर्थ है – “माँ, मैं तुझे प्रणाम करता हूँ।” इसमें भारत माता की सुंदरता का अत्यंत मनोहर वर्णन किया गया है। माँ की धरती को सुजल, सुफल, शस्यश्यामला कहा गया है, अर्थात् वह जल, फल और हरियाली से भरी हुई है। इस गीत में देश को देवी के रूप में दर्शाया गया है, जो अपने पुत्रों को आशीर्वाद देती है।
स्वतंत्रता आंदोलन के समय “वंदे मातरम्” एक नारा बन गया था। इस गीत को सुनकर क्रांतिकारी और आम नागरिकों में जोश और साहस भर जाता था। इसने लोगों में एकता और देशप्रेम की भावना को प्रबल किया।
15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब “वंदे मातरम्” को राष्ट्रीय गीत के रूप में सम्मानित किया गया। यह गीत आज भी हर भारतीय के मन में गर्व और आत्मसम्मान की भावना जागृत करता है।
संक्षेप में, “वंदे मातरम्” केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा का प्रतीक है। यह हमें अपने देश, अपनी संस्कृति और अपनी मातृभूमि के प्रति निष्ठा और प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
वंदे मातरम्!
Comments
Post a Comment