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Showing posts from November, 2025

NAYAK KINGDOM

  नायक साम्राज्य  नायक साम्राज्य दक्षिण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण राजवंश था, जिसने 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच विशेष रूप से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों पर शासन किया। विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद नायक शासकों ने स्वतंत्र शासन स्थापित किया और क्षेत्र की राजनीतिक तथा सांस्कृतिक दिशा को प्रभावित किया। प्रमुख नायक राज्यों में मदुरै नायक , तंजावुर नायक और जिंजी (सेनजी) नायक शामिल थे। नायक शासकों का उदय विजयनगर साम्राज्य द्वारा सैनिक और प्रशासनिक प्रमुखों के रूप में किया गया। 1565 के तालिकोटा युद्ध के बाद विजयनगर कमजोर हुआ और नायकों ने स्वतंत्र शासन प्रारंभ कर दिया। मदुरै के तिरुमलै नायक, तंजावुर के राघुनाथ नायक और सेनजी के शिवप्पा नायक को सर्वश्रेष्ठ नायक शासकों में गिना जाता है। नायक शासन की सबसे बड़ी विशेषता उनकी वास्तुकला और कला के क्षेत्र में उपलब्धियाँ थीं। मदुरै का प्रसिद्ध मीनाक्षी अम्मन मंदिर नायक काल की उत्कृष्ट कला का सर्वोत्तम उदाहरण है। इसके विशाल गोपुरम, मंडप और मूर्तिकला नायक स्थापत्य शैली को विशिष्ट बनाते हैं। तंजावुर में नायक शासकों ने क...

VEER KUNWAR SINGH

  वीर कुंवर सिंह  वीर कुंवर सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम संग्राम (1857) के महानायक और बिहार के गौरव थे। उनका जन्म 1777 ई. में बिहार के भोजपुर ज़िले के जगदीशपुर में हुआ था। वे उज्जैनिया राजपूत वंश से ताल्लुक रखते थे। कुंवर सिंह उस समय 80 वर्ष से भी अधिक आयु के थे, जब देश में 1857 का विद्रोह आरंभ हुआ। इतनी अधिक आयु में भी उन्होंने जिस साहस, नेतृत्व क्षमता और वीरता का परिचय दिया, वह उन्हें इतिहास के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में स्थान दिलाता है। 1857 के विद्रोह के दौरान जब ब्रिटिश शासन के खिलाफ पूरे देश में असंतोष की लहर थी, तब वीर कुंवर सिंह ने भी अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध का नेतृत्व संभाला। उन्होंने अपने क्षेत्र के किसानों, जवानों और सैनिकों को संगठित कर अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी। अंग्रेजी सेना के अत्याचारों और भ्रष्ट नीतियों के विरुद्ध उन्होंने जनता को जागरूक किया और विद्रोह को मजबूत आधार दिया। जगदीशपुर उनका किला विद्रोह का प्रमुख केंद्र बन गया। कुंवर सिंह ने अपनी रणनीति, युद्ध कौशल और अद्वितीय नेतृत्व के बल पर अरrah, आरा, दानापुर, बक्सर तथा गाजीपुर तक अंग...

RAJENDRA CHOLA I

  राजेंद्र चोल प्रथम  राजेंद्र चोल प्रथम चोल साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली और दूरदर्शी सम्राटों में से एक थे। उनका शासनकाल लगभग 1014 से 1044 ई. तक रहा। वे महान सम्राट राजराजा चोल प्रथम के पुत्र थे और अपने पिता की सैन्य, प्रशासनिक तथा सांस्कृतिक परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए चोल साम्राज्य को अभूतपूर्व ऊँचाइयों तक ले गए। राजेंद्र चोल प्रथम को “गंगैकोंड चोल” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने उत्तर भारत तक विजय अभियान चलाया और गंगा नदी तक पहुँचकर अपनी शक्ति का लोहा मनवाया। राजेंद्र चोल प्रथम की सबसे बड़ी उपलब्धि उनका विस्तृत सैन्य विस्तार था। उन्होंने दक्षिण भारत के कई राज्यों, श्रीलंका के बड़े हिस्से तथा दक्षिण-पूर्व एशिया तक प्रभावित करने वाले समुद्री अभियान चलाए। उनकी नौसेना अत्यंत सशक्त मानी जाती है। उन्होंने श्रीविजय साम्राज्य (आधुनिक इंडोनेशिया-मलेशिया क्षेत्र) तक सफल अभियान चलाकर चोल साम्राज्य को अंतरराष्ट्रीय समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। उन्होंने अपने विजय अभियान की स्मृति में एक नई राजधानी गंगैकोंड चोलपुरम बसाई। इस नगर को योजनाबद्ध तरीके से विकसित कि...

CHOLA GANGAM

  चोल गंगम  चोल गंगम, जिसे चोल गंगई झील या गंगैकोंडा चोलपुरम झील भी कहा जाता है, चोल साम्राज्य की जल इंजीनियरिंग क्षमता का अद्वितीय उदाहरण है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम ने करवाया था। जब राजेंद्र चोल गंगा नदी तक अभियान कर विजयी होकर लौटे, तो उन्होंने अपनी इस उपलब्धि की स्मृति में गंगैकोंड चोलपुरम नामक राजधानी बसाई और उसके पास यह विशाल कृत्रिम झील बनवाई। इसी कारण इसका नाम “चोल गंगम” पड़ा, जिसका अर्थ है—गंगा से प्रेरित चोलों की महान जल संरचना। चोल गंगम केवल एक साधारण तालाब या जलाशय नहीं था, बल्कि एक सुव्यवस्थित और विशाल जल प्रबंधन प्रणाली का हिस्सा था। इसे इस प्रकार डिजाइन किया गया कि यह वर्षा जल संचित करे, आसपास की नदियों से जल प्रवाह प्राप्त करे और पूरे क्षेत्र में सिंचाई का विश्वसनीय स्रोत बने। कहा जाता है कि यह झील हजारों एकड़ में फैली हुई थी और इसका जल पूरे गंगैकोंड चोलपुरम तथा आसपास के गाँवों की कृषि को समृद्ध बनाता था। इससे चोल साम्राज्य में धान, नारियल और अन्य फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता रहा। चोलों की जल इंजीनियरिंग उ...

GANGAIKODA CHOLAPURAM

  गंगैकोंड चोलपुरम  गंगैकोंड चोलपुरम दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य की एक ऐतिहासिक राजधानी थी, जिसे महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम ने 11वीं शताब्दी में स्थापित किया था। “गंगैकोंड” नाम का अर्थ है—“गंगा को जीतने वाला”। राजेंद्र चोल ने उत्तरी भारत तक अपना विस्तार किया और गंगा नदी तक विजय प्राप्त की। इसी उपलब्धि के उपलक्ष्य में उन्होंने यह नई राजधानी बसाई और इसे “गंगैकोंड चोलपुरम” नाम दिया। यह नगर चोल साम्राज्य के राजनीतिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ। यहाँ का सबसे प्रसिद्ध स्मारक है गंगैकोंड चोलेश्वर मंदिर , जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य का श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। इसका निर्माण बृहदेश्वर मंदिर की शैली से प्रेरित है, पर इसकी संरचना अधिक संतुलित, सौम्य और कलात्मक मानी जाती है। मंदिर का विशाल नंदी, खूबसूरत मूर्तिकला और शिल्प-सज्जा चोल कला की पराकाष्ठा को दर्शाते हैं। राजेंद्र चोल ने इस राजधानी को योजनाबद्ध ढंग से बसाया था। यहाँ चौड़ी सड़कें, मजबूत किलेबंदी, विशाल महल, तालाब और जल-संरचना प्रणालियाँ थीं। चोलों की जल प्रबंधन क्...

BRIHADESHEAR TEMPLE

  बृहदेश्वर मंदिर  बृहदेश्वर मंदिर, जिसे राजराजेश्वर मंदिर या पेरुवुडैयार कोविल भी कहा जाता है, दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के तंजावुर में स्थित एक भव्य और ऐतिहासिक शिव मंदिर है। यह मंदिर चोल साम्राज्य के महान शासक राजराजा चोल प्रथम द्वारा 11वीं शताब्दी (1010 ई.) में बनवाया गया था। द्रविड़ स्थापत्य कला का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाने वाला यह मंदिर आज यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है। मंदिर की सबसे अद्भुत विशेषता इसका विशाल विमान (शिखर) है, जिसकी ऊँचाई लगभग 66 मीटर है। यह भारत के सबसे ऊँचे मंदिर शिखरों में से एक है। आश्चर्य की बात यह है कि इसके शीर्ष पर रखे गए ‘कंभम’ (कलश) का भार लगभग 80 टन माना जाता है, जिसे उस समय की उन्नत इंजीनियरिंग और तकनीक से स्थापित किया गया था। पूरा मंदिर ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है, जबकि तंजावुर के आसपास इतने बड़े पत्थर उपलब्ध नहीं थे। इससे स्पष्ट होता है कि सामग्री दूरस्थ स्थानों से लाई गई थी, जो चोल प्रशासन की शक्ति और सामर्थ्य को दर्शाती है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित बृहदेश्वर लिंग अत्यंत विशाल है और इसे भगवान शिव के महान रूप का प्रतीक म...

RAJRAJA CHOLA

  राजराजा चोल राजराजा चोल प्रथम दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य के सबसे महान और प्रभावशाली शासकों में से एक थे। उनका शासनकाल (985–1014 ई.) चोल साम्राज्य के स्वर्णयुग की शुरुआत माना जाता है। उनके नेतृत्व में चोल साम्राज्य ने प्रशासन, सैन्य शक्ति, कला और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की, जिसके कारण उनका नाम इतिहास में अमर हो गया। राजराजा चोल ने अपने साम्राज्य का विस्तार बड़े रणनीतिक ढंग से किया। उन्होंने पांड्यों, गंगों और श्रीलंका के बड़े हिस्सों पर विजय प्राप्त कर चोल शक्ति को अभूतपूर्व ऊँचाई पर पहुंचाया। उनकी नौसेना अत्यंत सुदृढ़ थी, जिसके बल पर उन्होंने समुद्री व्यापार और विदेशी संबंधों को सुरक्षित और समृद्ध बनाया। दक्षिण भारत में समुद्री शक्ति के रूप में चोल साम्राज्य की पहचान उसी काल में स्थापित हुई। उनके शासनकाल का सबसे उज्ज्वल प्रतीक तंजावुर का प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर है, जिसे राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है। इसके निर्माण में विशाल ग्रेनाइट पत्थरों का प्रयोग और ऊँचा विमान (शिखर) भारतीय स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण है।...

THANJAVUR

  तंजावुर  तंजावुर (Thanjavur) तमिलनाडु का एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर है, जिसे दक्षिण भारत की कला और परंपराओं का गौरवशाली केंद्र माना जाता है। चोल साम्राज्य के स्वर्णकाल में तंजावुर राजधानी के रूप में उभरा और यहीं से द्रविड़ संस्कृति, स्थापत्य कला और साहित्यिक परंपराओं ने अभूतपूर्व विकास पाया। तंजावुर का इतिहास कम से कम पहली सहस्राब्दी ईस्वी से मिलता है, पर इसका सर्वाधिक उत्कर्ष 10वीं–12वीं शताब्दी के चोल शासन में हुआ। तंजावुर का सबसे प्रमुख प्रतीक बृहदेश्वर मंदिर है, जिसे राजराजा चोल प्रथम ने 11वीं शताब्दी में बनवाया था। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और द्रविड़ वास्तुकला का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है। इसका विशाल ‘विमान’ (शिखर) और ग्रेनाइट से निर्मित संरचना भारत के प्राचीन इंजीनियरिंग कौशल का अनोखा नमूना है। नटराज और शिव भक्त संस्कृति के प्रसार में भी तंजावुर का योगदान उल्लेखनीय है। कला और संगीत के क्षेत्र में तंजावुर का महत्व अत्यधिक है। तंजावुर पेंटिंग, जिसे ‘तंजोर पेंटिंग’ कहा जाता है, अपनी स्वर्ण पत्तियों, जीवंत रंगों और ध...

CHOLA KINGDOM

  चोल साम्राज्य  चोल साम्राज्य दक्षिण भारत का एक अत्यंत शक्तिशाली और प्राचीन राजवंश था, जिसकी इतिहास में उपस्थिति लगभग दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दर्ज मिलती है। परंतु इसका स्वर्णकाल 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच माना जाता है, जब यह तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया तक विस्तृत हो गया। चोलों की राजधानी तंजावुर (थंजावुर) थी, जो कला, संस्कृति और प्रशासन का प्रमुख केंद्र बना। चोल साम्राज्य के महानतम शासकों में राजराजा प्रथम और उनके पुत्र राजेंद्र प्रथम का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। राजराजा प्रथम (985–1014 ई.) ने चोल शक्ति को चरम पर पहुँचाया और तंजावुर में विश्व प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का अद्वितीय नमूना है और आज भी भारतीय स्थापत्य की अद्भुत उपलब्धि माना जाता है। राजेंद्र प्रथम ने साम्राज्य को समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित किया और अपनी नौसेना के बल पर श्रीलंका, मालदीव तथा दक्षिण-पूर्व एशिया तक विजय प्राप्त की। चोल प्रशासन अत्यंत संगठित और कुशल था। गाँवों से लेकर प्रांतों तक स्थानीय स्वशासन की व्यवस्थ...

PALLAV DYNASTIES

  पल्लव वंश  पल्लव वंश दक्षिण भारत का एक प्रमुख राजवंश था, जिसने मुख्यतः तीसरी से नौवीं शताब्दी के बीच तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बड़े हिस्सों पर शासन किया। इस वंश की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न मत हैं, परंतु अधिकतर इतिहासकार मानते हैं कि पल्लव मूलतः दक्षिण भारत के स्थानीय क्षत्रिय अथवा प्रशासनिक समुदाय से उभरे थे। उनकी राजधानी प्रारंभ में कांचीपुरम थी, जो शिक्षा, धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरी। पल्लव शासकों ने दक्षिण भारत में कला, वास्तुकला और धर्म के क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया। विशेष रूप से महाबलीपुरम (ममल्लापुरम) में निर्मित शिलाचित्र, एकाश्मक मंदिर और रथ-शैली की संरचनाएँ भारतीय वास्तुकला के अनमोल रत्न मानी जाती हैं। नरसिंहवर्मन प्रथम (ममल्ल) और नरसिंहवर्मन द्वितीय (राजसिंह) जैसे शासक इस सांस्कृतिक वैभव के मुख्य प्रणेता थे। उन्होंने पल्ली स्थापत्य कला को एक नई ऊँचाई दी। पल्लव वंश बौद्ध, जैन और वैदिक हिंदू परंपराओं के प्रति सहिष्णु था। कांचीपुरम में स्थित कई प्रमुख मंदिर और शिक्षण संस्थान उनके संरक्षण में विकसित हुए। नाट्यशास्त्र, संगीत और साहि...

JOHNNIE WALKER

  जॉननी वॉकर  जॉननी वॉकर (Johnnie Walker) दुनिया की सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित स्कॉच व्हिस्की ब्रांडों में से एक है। इसकी उत्पत्ति स्कॉटलैंड में 1820 के दशक में हुई थी। जॉननी वॉकर की खासियत इसका अद्वितीय स्वाद और लंबे समय तक परिपक्व होने की क्षमता है। यह ब्रांड विश्वभर में अपने प्रीमियम व्हिस्की के लिए जाना जाता है। जॉननी वॉकर की स्थापना जॉन वॉकर ने की थी। शुरुआत में यह एक छोटे व्यवसाय के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन गुणवत्ता और ब्रांड की निष्ठा के कारण यह वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध हो गया। आज यह ब्रांड डायजियो (Diageo) कंपनी के अधीन आता है और दुनिया के लगभग 180 देशों में उपलब्ध है। जॉननी वॉकर के उत्पाद विभिन्न प्रकार और कीमतों में आते हैं। इनके प्रमुख संस्करण हैं रेड लेबल, ब्लैक लेबल, ग्रीन लेबल, गोल्ड लेबल और ब्लू लेबल । हर लेबल का स्वाद, गुणवत्ता और उम्र अलग होती है। रेड लेबल को आमतौर पर हल्का और मिश्रित पीने के लिए पसंद किया जाता है, जबकि ब्लू लेबल प्रीमियम और विशेष अवसरों के लिए उपयुक्त है। जॉननी वॉकर केवल एक व्हिस्की नहीं, बल्कि शानदार ब्रांड और स्टाइल का प्रतीक भी है...

DIAGEO

  डायजियो  डायजियो (Diageo) विश्व की प्रमुख शराब और अल्कोहलिक पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनी है। इसकी स्थापना 1997 में हुई थी और इसका मुख्यालय लंदन, यूनाइटेड किंगडम में स्थित है। डायजियो दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के शराब और स्पिरिट्स जैसे व्हिस्की, रम, वोडका और बीयर का उत्पादन और वितरण करता है। डायजियो के उत्पाद वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हैं। इसकी प्रमुख ब्रांडों में जॉननी वॉकर, गिल्बर्ट्स, कैविन, स्मिरनोफ़, गिल्बर्ट्स, हबिलन, बॉम्बे सैफायर जिन जैसी अंतरराष्ट्रीय ब्रांड शामिल हैं। भारत में भी डायजियो की कई ब्रांड्स लोकप्रिय हैं, जैसे स्मिरनोफ़ वोडका, रॉयल चैलेंज व्हिस्की, कंटेसा, डॉन पेर्डो रम आदि। कंपनी की सफलता का मुख्य कारण इसका उच्च गुणवत्ता वाला उत्पादन, मार्केटिंग रणनीति और वैश्विक विस्तार है। डायजियो का मानना है कि प्रत्येक उत्पाद में गुणवत्ता और स्वाद सर्वोपरि होना चाहिए। इसके लिए कंपनी अपने उत्पादन केंद्रों में अत्याधुनिक तकनीक और कड़े गुणवत्ता नियंत्रण का पालन करती है। डायजियो केवल उत्पादन ही नहीं करता, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों में भी सक्रिय है...

ALVIDA DHARMENDRA

  अलविदा धर्मेंद्र 24 नवंबर 2025 को बॉलीवुड ने एक बहुत बड़ा सनाटा महसूस किया — दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे। धर्मेंद्र, जिन्हें “ही-मैन ऑफ़ बॉलीवुड” कहा जाता था, मुंबई में अपने घर में ही अंतिम सांस ले गए। उनकी तबीयत पहले से नाज़ुक थी — उन्होंने हाल ही में सांस लेने की समस्या के चलते ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती रहा था, लेकिन उन्हें डिस्चार्ज करके घर भेजा गया था। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट में किया गया, जहाँ फिल्मी दुनिया और उनके बहुत से सहयोगी-मित्र पहुंचे। बॉलीवुड में उनके जाने को “एक युग का अंत” कहा जा रहा है। धर्मेंद्र का सिनेमा में योगदान बहुत विशाल था। उन्होंने करीब 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, और उनकी फिल्मों में ऐक्शन, रोमांस, कॉमेडी — हर प्रकार की बहुमुखी भूमिका थी। उनकी कुछ पॉपुलर फिल्मों में शोले (Sholay), मेरा गाँव मेरा देश , फूल और पत्थर , चुपके-चुपके आदि हैं। पर्सनल लाइफ में, धर्मेंद्र दो शादीशुदा जीवन जीए — उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर थीं और बाद में उन्होंने अभिनेत्री हेमा मालिनी से विवाह किया। उन...

JEETAN RAM MANJHI

  जीतन राम मांझी  जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) बिहार के एक वरिष्ठ और प्रभावशाली राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने दलित समुदाय के लिए आवाज़ उठाने का महत्वपूर्ण काम किया है। उनका जन्म 6 अक्टूबर 1944 को बिहार के गया जिले के महकर गांव में हुआ था। वे मुसहर (Dalit) जाति से आते हैं, जो पहले काफी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी रही है। मांझी की शिक्षा मगध विश्वविद्यालय, गया से हुई, जहाँ से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनका राजनीतिक करियर करीब 44 साल पुराना है। उन्होंने शुरुआत कांग्रेस से की थी और बाद में जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जेडीयू जैसी पार्टियों में काम किया। 2015 में उन्हें अपनी अलग पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर (HAM-S) बनाने की प्रेरणा मिली। यह पार्टी बाद में NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हो गई। जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने सामाजिक पिछड़ेपन और दलितों की समस्याओं पर जोर देते हुए विकास की राजनीति की है। हाल में, लगभग 80 साल की उम्र में, उन्होंने केंद्रीय मंत्री का पद संभाला, जिससे उनकी राजनीतिक यात्र...

SAMRAT CHOWDHURY

  सम्राट चौधरी  सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) बिहार की राजनीति में एक प्रमुख और विवादित चेहरा हैं। उनका असली नाम राकेश कुमार है और वे 16 नवंबर 1968 को बिहार के मुंगेर जिले के लखनपुर गांव में जन्मे थे। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी मजबूत है — उनके पिता शकुनी चौधरी भी पूर्व में एक दिग्गज राजनेता रहे हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर अपना करियर नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मार्च 2023 में उन्हें भाजपा बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, यह इस बात का संकेत था कि पार्टी उन पर काफी भरोसा करती है। इसके बाद वे 2025 में तारापुर विधानसभा सीट से जीतकर बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। सम्राट चौधरी की जाति कोइरी (कुशवाहा) है, और वे ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधि माने जाते हैं। उनकी संपत्ति भी चर्चा का विषय रही है — उनके हलफनामे में 10 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का खुलासा हुआ, जिसे राजनीतिक हलचल का कारण माना गया। साथ ही उनकी आयु और शैक्षणिक योग्यताओं को लेकर भी विवाद उठे हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से, सम्राट चौधरी संगठन और सरकार दोनों में सक्रिय...

NITYANAND RAI

  नित्यानंद राय  नित्यानंद राय भारत के एक प्रमुख राजनीतिक नेता हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लंबे समय से सक्रिय सदस्य हैं। उन्होंने बिहार के हाजीपुर में 1 जनवरी 1966 को जन्म लिया था। उनकी शिक्षा स्नातक स्तर तक हुई है। राजनीतिक क्षेत्र में उनकी शुरुआत बिहार विधानसभा से हुई थी, और बाद में वे लोकसभा के सदस्य बने। 2014 में नित्यानंद राय पहली बार बिहार की उजियारपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए, और बाद में 2019 में भी उन्होने उसी सीट से जीत हासिल की थी। वे वर्तमान में केंद्र सरकार में गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) में राज्य मंत्री के रूप में सेवा दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त, वे भारत सरकार के “राजभाषा विभाग” में भी राजकीय प्रतिनिधि के रूप में जुड़े हुए हैं। नित्यानंद राय को सामाजिक रूप से भी सराहना मिली है। उन्होंने दिव्यांग बच्चों को गोद लेने का काम किया है और अब तक 72 बच्चों को गोद लिया है, जिससे उनके कल्याण और शिक्षा को सुनिश्चित किया गया है। यह उनकी मानवीय सोच और सार्वजनिक जीवन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने राजनीतिक विवादों में भी हिस...

GIRIRAJ SINGH

  गिरिराज सिंह  गिरिराज सिंह एक प्रमुख भारतीय राजनेता हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े हुए हैं और बिहार की राजनीति में उनका बहुत बड़ा प्रभाव है। उनका जन्म 8 सितंबर 1952 को बिहार के लखीसराय जिला के बड़हिया (Barahiya) में हुआ था। उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। राजनीतिक रूप से, गिरिराज सिंह ने अपना करियर बिहार विधान परिषद से शुरू किया, जहाँ वे 2002 से 2014 तक सदस्य रहे। बिहार सरकार में उन्होंने सहकारी मंत्री का पद भी संभाला (2005–2010) और पशुपालन, मछली पालन विभाग में भी काम किया। उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में भी कदम रखा और 2014 में लोकसभा सांसद बने। बाद में मोदी सरकार में उन्हें माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। इसके बाद उन्होंने पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन के लिए संघीय मंत्री का पद संभाला। जुलाई 2021 में मंत्री मण्डल फेरबदल के दौरान उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई। हाल ही में, जून 2024 में गिरिराज सिंह को भारत सरकार में कपड़...

RAJEEV PRATAP RUDY

  राजीव प्रताप रूडी  राजीव प्रताप रूडी एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो बिहार से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद के रूप में कई बार चुने गए हैं। उनका जन्म 30 मार्च 1962 को बिहार के अमनौर (सारण) में हुआ था। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की पढ़ाई की और साथ ही एलएलबी और कमर्शियल पायलट लाइसेंस भी प्राप्त किया। रूडी पेशे से एक प्रशिक्षित पायलट भी हैं — उनके पास ए-320 विमान उड़ाने का कमर्शियल लाइसेंस है। इसके अलावा उन्हें स्कूबा डाइविंग, पैरा-सेलिंग, राफ्टिंग जैसे साहसिक खेलों में भी रुचि है। उनका राजनीतिक करियर छात्र राजनीति से शुरू हुआ। वे पंजाब विश्वविद्यालय छात्रसंघ के महासचिव भी रह चुके हैं। वर्ष 1990 में वे बिहार विधानसभा के लिए चुने गए, और बाद में 1996 में भाजपा से लोकसभा सांसद बने। वे केंद्रीय मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं — अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वे वाणिज्य, उद्योग और नागरिक उड्डयन के राज्य मंत्री रहे थे। मोदी सरकार में उन्हें कौशल विकास एवं उद्यमिता का स्वतंत्र प्रभार प्राप्त हुआ था। राजीव प्रताप रूडी ...

RAJ KUMAR BHATI

  राजकुमार भाटी  राजकुमार भाटी उत्तर भारत के समाजवादी पार्टी (सपा) के एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ और राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। वे बीजेपी-शासित उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से यादव, गुर्जर और पिछड़े वर्ग के मुद्दों पर मुखर आवाज़ उठाते हैं और अक्सर अपनी तीखी आलोचनाओं के लिए जाने जाते हैं। राजकुमार भाटी ने राजनीतिक करियर में उल्लेखनीय अनुभव प्राप्त किया है। उन्हें समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है, जहां वे पार्टी की ओर से विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मामलों पर सार्वजनिक बयान देते हैं। उनकी सक्रियता और बेबाकी ने उन्हें पार्टी में सम्मान और जनसमर्थन दोनों दिलाया है। वे सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर भी विवादास्पद बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने एक टीवी डिबेट में कहा था कि “मोहम्मद साहब धर्म संस्थापक होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे,” जबकि भगवान राम के संदर्भ में उनका यह तर्क था कि राम “समाज सुधार का कोई स्पष्ट संदेश नहीं दे पाए।” इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी काफी आलोचना भी हुई, लेकिन उन्होंने अपने विचारों की सफाई देते हुए कहा कि उनका मक...

DR ULLAS BATRA

  डॉ. उल्लास बत्रा  डॉ. उल्लास बत्रा भारत के एक प्रतिष्ठित मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट हैं, जो कैंसर के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं। वे राजीव गांधी कैंसर  इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (RGCIRC) , दिल्ली में मुख्य थोरैसिक और मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के को-डायरेक्टर हैं। डॉ. बत्रा ने अपनी चिकित्सा की पढ़ाई MBBS के साथ शुरू की और बाद में MD (जनरल मेडिसिन) किया। इसके बाद उन्होंने Kidwai मेमोरियल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ऑन्कोलॉजी से Medical Oncology में DM की डिग्री प्राप्त की है। उनका पेशेवर अनुभव बहुत व्यापक है — वे हेमैटोलॉजिकल (रक्त संबंधित) और नॉन-हेमैटोलॉजिकल (ठोस ट्यूमर) दोनों प्रकार के कैंसर के इलाज में दक्ष हैं। खासकर वे लंग कैंसर , ब्रेस्ट कैंसर , जठरांत्र (GI) कैंसर और अन्य प्रकार के ट्यूमर की देखभाल में विशेषज्ञ हैं। डॉ. बत्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशिक्षित हैं — उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के MD Anderson कैंसर सेंटर में और ऑस्ट्रेलिया के Royal Adelaide हॉस्पिटल में प्रीसेप्टरशिप की है। वे क्लीनिकल रिसर्च में भी सक्रिय हैं। उन्होंने कई फेज-II और फेज-III क्ल...

PAKHTUN

  पश्तून (पख्तून)  पख्तून, जिन्हें पश्तून या पठान भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण जातीय समूह है जो मुख्य रूप से अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में निवास करता है। पख्तून अपनी वीरता, आतिथ्य, परंपराओं और विशिष्ट जीवन शैली के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। उनकी मातृभाषा पश्तो है, जो ईरानी भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा मानी जाती है। ऐतिहासिक रूप से पख्तून समाज जनजातीय संरचना पर आधारित है, जिसमें कई कबीले शामिल हैं, जैसे दुर्रानी, गिलजई, यूसुफज़ई, अफरीदी और मोहम्मदज़ई आदि। पख्तून समाज की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उनका पख्तूनवाली नामक आचार-संहिता है। यह एक नैतिक और सामाजिक नियमों का समूह है, जो सम्मान, साहस, वफादारी, अतिथि-सत्कार और न्याय पर आधारित है। नंग (सम्मान), मेहमाँ नवाज़ी (अतिथि-सत्कार) और बदला (न्याय या प्रतिशोध) जैसे सिद्धांत पख्तूनवाली के केंद्रीय आधार हैं, जो उनके सामाजिक ढांचे को मजबूती प्रदान करते हैं। इतिहास में पख्तूनों ने कई महान योद्धाओं और नेताओं को जन्म दिया है। इनमें अहमद शाह दुर्रानी, जिन्हें आधुनिक अफ़गानिस्तान का संस्थापक कहा जाता है, व...

SILAO NALANDA

  सिलाओ  सिलाओ बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध नगर है। यह स्थान अपने सांस्कृतिक महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्वादिष्ट खाद्य परंपरा के लिए जाना जाता है। विशेष रूप से सिलाओ अपनी विश्वप्रसिद्ध खाजा मिठाई के कारण पूरे देश में पहचान रखता है। “सिलाओ का खाजा” जीआई टैग से सम्मानित है, जो इसकी विशिष्ट गुणवत्ता और पारंपरिक विधि को दर्शाता है। सिलाओ का इतिहास नालंदा और राजगीर से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह नगर प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय और बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थलों के निकट स्थित है, जिसके कारण सदियों से यहाँ यात्रियों, विद्वानों और साधकों का आना-जाना लगा रहता था। यही कारण है कि सिलाओ में सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक जीवन शैली आज भी देखने को मिलती है। सिलाओ की अर्थव्यवस्था में कृषि और लघु उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ का खाजा उद्योग हजारों परिवारों को रोजगार देता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। खाजा की तैयारी में महीन मैदा, देसी घी और चीनी का उपयोग किया जाता है, तथा इसे कई परतों में तैयार किया जाता है, जिससे यह कुर...

GRIDHKUT MOUNTAIN RAJGIR

  गृद्धकूट पर्वत  गृद्धकूट पर्वत, जिसे गृध्रकूट या वृशभगिरि भी कहा जाता है, बिहार के राजगीर नगर में स्थित एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक पर्वत है। यह पर्वत बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विश्वभर में आदर का केंद्र है, क्योंकि यहीं भगवान गौतम बुद्ध ने अपना लंबा समय बिताया और अनेक महत्वपूर्ण उपदेश प्रदान किए। गृद्धकूट नाम का अर्थ “गिद्धों का शिखर” है, क्योंकि इसकी आकृति गिद्ध के समान दिखाई देती है और प्राचीन समय में यहाँ बड़ी संख्या में गिद्ध पाए जाते थे। बौद्ध साहित्य के अनुसार, गृद्धकूट पर्वत वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने धम्म के गहन प्रवचन दिए और कई सूत्रों का उपदेश किया, जैसे प्रसिद्ध सद्धर्मपुण्डरीक सूत्र । यहाँ पर राजा बिंबिसार बुद्ध से मिलने आया करते थे और उन्होंने इस स्थान को अत्यधिक सम्मान दिया था। यह पर्वत उस युग की आध्यात्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था, जहाँ बुद्ध के अनेक शिष्य, जैसे आनंद और महाकश्यप, अध्ययन और साधना करते थे। गृद्धकूट पर्वत तक पहुँचने के लिए आज रोपवे की सुविधा उपलब्ध है, जिससे पर्यटक और श्रद्धालु आसानी से शिखर तक जा सकते हैं। पर्वत की चोटी पर बुद्ध...

DURANTO EXPRESS

  दूरंतो एक्सप्रेस दूरंतो एक्सप्रेस भारतीय रेल की सबसे तेज़, सुविधाजनक और लंबी दूरी की ट्रेनों में से एक है। इसे भारतीय रेल ने 2009 में शुरू किया था, ताकि देश के प्रमुख शहरों के बीच बिना अनावश्यक ठहराव के तेज़ यात्रा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। “दूरंतो” शब्द का अर्थ होता है— तेज़ और बिना रुके चलने वाली ट्रेन , और यह नाम इस ट्रेन की कार्यशैली को पूरी तरह दर्शाता है। दूरंतो एक्सप्रेस की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यह पूरी तरह नॉन-स्टॉप सेवा प्रदान करती है। यह ट्रेन केवल तकनीकी कारणों, जैसे पानी भरने या क्रू बदलने के लिए रुकती है, अन्यथा बीच में कोई वाणिज्यिक स्टॉप नहीं होता। इससे यात्रा का समय काफी कम हो जाता है और यात्रियों को तेज़ रफ्तार से गंतव्य तक पहुँचने का बेहतर अनुभव मिलता है। दूरंतो एक्सप्रेस में आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। इसमें आरामदायक एसी कोच, स्लीपर कोच, साफ-सुथरे कंपार्टमेंट, सुरक्षित यात्रा के लिए सीसीटीवी और उच्च गुणवत्ता वाली केटरिंग सेवा दी जाती है। पहले इन ट्रेनों में भोजन किराए में शामिल रहता था, हालांकि बाद में इसे वैकल्पिक कर दिया गया। इसकी रंगीन पेंट स...

LAND ROVER

  लैंड रोवर  लैंड रोवर दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित और विश्वसनीय एसयूवी निर्माताओं में से एक है। यह ब्रिटेन का एक प्रीमियम ऑटोमोबाइल ब्रांड है, जो अपनी मजबूती, लक्ज़री और अद्भुत ऑफ-रोड क्षमता के लिए जाना जाता है। लैंड रोवर की शुरुआत 1948 में हुई थी, जब पहली बार इसे एक ऐसी गाड़ी के रूप में बनाया गया, जो कठिन परिस्थितियों में भी आसानी से चल सके। समय के साथ इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि यह दुनिया भर में एडवेंचर प्रेमियों और उच्च वर्ग की पसंदीदा गाड़ी बन गई। लैंड रोवर की खासियत इसकी बेहतरीन 4x4 तकनीक में है। यह कंपनी ऐसी एसयूवी तैयार करती है जो पहाड़, रेगिस्तान, बर्फीले इलाके और कीचड़ भरे रास्तों पर भी बिना किसी कठिनाई के चल सकती हैं। इसकी सबसे प्रसिद्ध गाड़ियों में रेंज रोवर, डिस्कवरी, डिफ़ेंडर और रेंज रोवर स्पोर्ट शामिल हैं। खासकर डिफ़ेंडर मॉडल अपनी अटूट मजबूती और टिकाऊपन के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह ब्रांड न केवल शक्ति और मजबूती के लिए जाना जाता है, बल्कि लक्ज़री का भी बेहतरीन अनुभव प्रदान करता है। लैंड रोवर की कारों में अत्याधुनिक फीचर्स, प्रीमियम इंटीरियर, उन्नत सुरक्षा ...

ROYAL ENFIELD

  रॉयल एनफ़ील्ड रॉयल एनफ़ील्ड एक विश्व प्रसिद्ध मोटरसाइकिल ब्रांड है, जो अपनी मजबूत बनावट, दमदार इंजन और क्लासिक डिज़ाइन के लिए जाना जाता है। यह कंपनी दुनिया की सबसे पुरानी मोटरसाइकिल निर्माताओं में से एक मानी जाती है, जिसका इतिहास 1901 से शुरू होता है। भारत में यह ब्रांड युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। इसकी बाइक्स न सिर्फ़ परिवहन का माध्यम हैं, बल्कि गर्व, स्टाइल और साहस का प्रतीक भी मानी जाती हैं। रॉयल एनफ़ील्ड की सबसे प्रसिद्ध मोटरसाइकिलों में बुलेट, क्लासिक, थंडरबर्ड, हिमालयन और मीटिओर शामिल हैं। विशेष रूप से बुलेट 350 और क्लासिक 350 भारतीय सड़कों पर सबसे अधिक देखी जाने वाली बाइक्स हैं। इनका इंजन धीर-गंभीर आवाज़ निकालता है, जिसे अक्सर “ढुक-ढुक” ध्वनि कहा जाता है, और यह आवाज़ रायडर्स के बीच खास पहचान बनाती है। कंपनी लगातार आधुनिक तकनीक और सुरक्षा फीचर्स को भी अपनी बाइक्स में शामिल करती रही है, जैसे ईंधन इंजेक्शन सिस्टम, एबीएस ब्रेकिंग और मजबूत सस्पेंशन। इसके बावजूद इसका रेट्रो और क्लासिक लुक हमेशा बरकरार रखा गया है, जो इसे अन्य ब्रांडों से अलग बनात...

JALALABAD

  जलालाबाद (Jalalabad)  जलालाबाद अफ़ग़ानिस्तान का एक महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर है, जो देश के पूर्वी भाग में नंगरहार प्रांत की राजधानी के रूप में स्थित है। यह शहर काबुल नदी के किनारे बसा है और अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संपर्क का प्रमुख मार्ग माना जाता है। जलालाबाद अपनी उपजाऊ भूमि, मनोहर प्राकृतिक दृश्यों और अनुकूल जलवायु के लिए प्रसिद्ध है, जिसके कारण इसे अफ़ग़ानिस्तान का “बागों का शहर” भी कहा जाता है। ऐतिहासिक रूप से जलालाबाद का महत्व अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि यह क्षेत्र प्राचीन गांधार सभ्यता से प्रभावित रहा है। बाद में यह मुस्लिम शासकों और अफ़ग़ान राजवंशों के लिए भी महत्वपूर्ण केंद्र बना। मुग़ल सम्राट अकबर ने जलालाबाद में कई बगीचे और निर्माण कार्य करवाए, जिससे यह शहर और भी आकर्षक बन गया। जलालाबाद से संबंधित सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में से एक है महाराजा रणजीत सिंह द्वारा बनवाया गया ‘खनगरहार किला’, जो इतिहास की अनेक घटनाओं का साक्षी रहा है। जलालाबाद की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि और व्यापार पर आधारित है। यहाँ का संतरा, नींबू, जैतून...

PESHAWAR

  पेशावर (Peshawar) पेशावर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी और दक्षिण एशिया का अत्यंत प्राचीन एवं ऐतिहासिक शहर है। यह शहर अफ़ग़ानिस्तान की सीमा के निकट स्थित है और सदियों से भारत, मध्य एशिया तथा पश्चिम एशिया के बीच सांस्कृतिक, व्यापारिक और सामरिक संपर्क का प्रमुख मार्ग रहा है। पेशावर का इतिहास लगभग 2,000 वर्षों से अधिक पुराना है, और इसे गांधार सभ्यता का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। प्राचीन काल में पेशावर को पुरुशपुर के नाम से जाना जाता था। यह बौद्ध धर्म और कला का प्रमुख केंद्र था, जहाँ कुशाण शासक कनिष्क के समय में अनेक स्तूप, विहार और शिक्षण केंद्र स्थापित हुए। गांधार कला, जो बौद्ध मूर्तिकला और यूनानी प्रभाव का सुंदर मिश्रण है, पेशावर क्षेत्र में ही विकसित हुई। यहाँ से प्राप्त मूर्तियाँ और अवशेष आज भी विश्वभर के संग्रहालयों में सुरक्षित हैं और प्राचीन कला की उत्कृष्ट मिसाल पेश करते हैं। पेशावर की भौगोलिक स्थिति इसे अत्यंत रणनीतिक बनाती है। खैबर दर्रा, जो अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते मध्य एशिया तक पहुँच प्रदान करता है, पेशावर के निकट स्थित है। व्यापारियों, यात्रियों औ...

HERAT

  हेरात (Herat)  हेरात अफ़ग़ानिस्तान का एक अत्यंत प्राचीन, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर है। यह देश के पश्चिमी भाग में स्थित है और ईरान की सीमा के निकट होने के कारण सदियों से व्यापार, कला और संस्कृति का प्रमुख केंद्र रहा है। हेरात को अफ़ग़ानिस्तान की “सांस्कृतिक राजधानी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ साहित्य, सुलेख, चित्रकला और वास्तुकला की समृद्ध परंपरा विकसित हुई। हेरात का इतिहास लगभग 2,500 वर्षों से भी अधिक पुराना माना जाता है। प्राचीन काल में यह आर्य और फ़ारसी सभ्यताओं के प्रभाव में विकसित हुआ। बाद में सिकंदर महान यहाँ पहुँचा और इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल किया। मध्यकालीन काल में तैमूर वंश के शासन के दौरान हेरात ने कला और ज्ञान का स्वर्णिम युग देखा। उस समय यह शहर इस्लामी कला, फ़ारसी कविता और सूफ़ी संस्कृति का प्रमुख केंद्र बन गया था। प्रसिद्ध सूफ़ी संत ख्वाजा अब्दुल्ला अंसारी भी हेरात से संबंधित थे। हेरात की वास्तुकला अत्यंत मोहक है। यहाँ की ‘जुम्मा मस्जिद’ अपनी फ़िरोज़ी टाइलों और सुंदर नक़्क़ाशी के लिए प्रसिद्ध है। हेरात किला, जिसे अलेक्जेंड...

KANDHAR

  कंधार (Kandhar)  कंधार अफ़ग़ानिस्तान का एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर है। यह देश के दक्षिणी भाग में स्थित है और पख़्तून बहुल क्षेत्र का प्रमुख केंद्र माना जाता है। कंधार का इतिहास लगभग 3,000 वर्ष पुराना है, जिसमें कई साम्राज्यों, युद्धों और सांस्कृतिक बदलावों की छाप देखी जाती है। इसे अफ़ग़ान इतिहास का हृदय भी कहा जाता है, क्योंकि कई महत्वपूर्ण राजवंशों और शासकों ने यहीं से शासन की नींव रखी थी। कंधार की स्थापना प्राचीन काल में यूनानी शासक सिकंदर महान से भी जोड़ी जाती है। माना जाता है कि सिकंदर ने अपने अभियानों के दौरान इस क्षेत्र में एक नगर बसाया था, जिसे आगे चलकर कंधार का रूप मिला। मध्यकालीन इतिहास में कंधार मुग़लों और फ़ारसियों के बीच संघर्ष का प्रमुख केंद्र रहा। मुग़ल सम्राट अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के काल में कंधार को लेकर अनेक युद्ध हुए, क्योंकि यह व्यापार और सैन्य दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मार्ग पर स्थित था। कंधार आज भी अफ़ग़ानिस्तान की संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण प्रतीक है। यहाँ पख़्तून संस्कृति, रीति-रिवाज और लोककला की ...

BUSHMEN

  बुशमैन (Bushmen)  बुशमैन, जिन्हें सैन जनजाति (San People) या खोइसान समुदाय भी कहा जाता है, दक्षिणी अफ्रीका की सबसे प्राचीन और विशिष्ट आदिवासी जनजातियों में से एक मानी जाती है। यह जनजाति मुख्यतः बोत्सवाना, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और कालाहारी मरुस्थल के क्षेत्रों में निवास करती है। हजारों वर्षों पुरानी जीवनशैली, अनोखी संस्कृति और प्रकृति के साथ गहरे संबंध के कारण बुशमैन विश्वभर में चर्चित हैं। बुशमैन जनजाति का जीवन पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है। वे पारंपरिक रूप से शिकार और संग्रहण पर निर्भर रहते थे। वे छोटे–छोटे समूहों में रहते हैं और अपने भोजन के लिए जंगली जानवरों का शिकार, पेड़–पौधों की जड़ें, फल और बीज एकत्र करते हैं। प्राकृतिक वातावरण के प्रति उनकी समझ बेहद गहरी है। वे जानवरों के पदचिह्नों को देखकर उनकी दिशा, दूरी और आयु सटीक रूप से पहचान लेते हैं, जो उनके शिकार कौशल की विशेषता है। इस जनजाति की भाषा भी अनोखी है। वे “ क्लिक ध्वनियों ” (Click Sounds) वाली भाषाएँ बोलते हैं, जो अफ्रीका की दुर्लभ भाषाई विरासत का हिस्सा हैं। उनकी पारंपरिक कला, विशेषकर गुफा चि...

KALAHARI DESERT

  कालाहारी मरुस्थल  कालाहारी मरुस्थल अफ्रीका महाद्वीप का एक विशाल और अद्वितीय मरुस्थलीय क्षेत्र है, जिसे अपनी प्राकृतिक विविधताओं और विशिष्ट जलवायु के लिए विश्वभर में जाना जाता है। यह मरुस्थल दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और नामीबिया के भागों में फैला हुआ है। लगभग 9 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला कालाहारी दुनिया के प्रमुख मरुस्थलों में से एक है। इसका नाम त्सवाना भाषा के शब्द “Kgalagadi” से निकला है, जिसका अर्थ है—“वह स्थान जहाँ जल का अभाव हो।” कालाहारी मरुस्थल की जलवायु बेहद शुष्क और गर्म होती है। यहाँ वर्षा बहुत कम होती है, फिर भी इसे पूर्ण रूप से रेगिस्तान नहीं माना जाता क्योंकि वर्षा के कुछ समय बाद यहाँ घास, झाड़ियाँ और कुछ विशेष पौधे उग आते हैं। इस क्षेत्र में पाई जाने वाली लाल–रंगी रेत इसकी खास पहचान बनाती है। हवा से उड़ती रेत के टीले और विशाल मैदान इसे बेहद आकर्षक और रहस्यमयी रूप देते हैं। प्राकृतिक दृष्टि से यह मरुस्थल अत्यंत समृद्ध है। कालाहारी में अनेक वन्यजीव पाए जाते हैं जिनमें शेर, चीता, जिराफ, शुतुरमुर्ग, मृग, हाइना तथा कई छोटे जीव शामिल हैं। यहाँ का कालाहारी...

ARTICLE 240

  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 240 (Article 240)  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 240 केंद्र सरकार को कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विधायी अधिकार प्रदान करता है। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति उन केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आवश्यक कानून बना सकते हैं जहाँ पूर्ण रूप से विधान सभा नहीं है या जहाँ विशेष प्रावधान लागू होते हैं। यह अनुच्छेद संविधान के भाग VIII (केंद्र शासित प्रदेश) में शामिल है। अनुच्छेद 240 का प्रमुख आशय अनुच्छेद 240 भारत के राष्ट्रपति को यह शक्ति देता है कि वे निम्नलिखित केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विनियम (Regulations) बना सकें— अंडमान और निकोबार द्वीप समूह लक्षद्वीप दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव लद्दाख पुडुचेरी (कुछ परिस्थितियों में) यह विनियम उसी प्रकार प्रभावी होते हैं जैसे किसी राज्य की विधान सभा द्वारा बनाए गए कानून। अनुच्छेद 240 के मुख्य बिंदु राष्ट्रपति की विधायी शक्ति राष्ट्रपति इन केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विशेष विनियम जारी कर सकते हैं। ये विनियम संसद के कानूनों के समान ही मान्य होते हैं। बाद में संशोधन या निरसन राष्ट्रपति द...

BOTSWANA

  बोत्सवाना (Botswana)  बोत्सवाना दक्षिणी अफ्रीका में स्थित एक स्थलीय देश है, जो अपनी राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक प्रगति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसकी राजधानी गैबोरोन है, जो आधुनिक विकास और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है। बोत्सवाना की सीमाएँ दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे, नामीबिया और ज़ाम्बिया से मिलती हैं। यह देश अपनी विशाल रेगिस्तानी भूमि, समृद्ध पारिस्थितिकी और वन्यजीव संरक्षण के उत्कृष्ट प्रयासों के लिए विशेष रूप से पहचाना जाता है। बोत्सवाना का एक बड़ा हिस्सा कालाहारी मरुस्थल से घिरा हुआ है, जो इसे भौगोलिक रूप से विशिष्ट बनाता है। यहाँ का ओकावांगो डेल्टा दुनिया का सबसे बड़ा अंतर्देशीय डेल्टा माना जाता है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है। यह क्षेत्र हाथी, शेर, चीता, जिराफ़ और विभिन्न पक्षियों का महत्वपूर्ण आश्रय है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति बोत्सवाना की नीतियाँ अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं, जिसके कारण यहाँ सफारी पर्यटन का बड़ा विकास हुआ है। आर्थिक दृष्टि से बोत्सवाना अफ्रीका के सबसे तेजी से विकसित होने वाले देशों में गिना जाता है। यहाँ हीरे का ...

ASHOKARISHT

  अशोकारिष्ट  अशोकारिष्ट आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय औषधि है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान में किया जाता है। इसका मुख्य घटक अशोक की छाल है, जो महिलाओं की विभिन्न शारीरिक व जैविक समस्याओं के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। अशोकारिष्ट एक प्रकार का किण्वित (फर्मेंटेड) आयुर्वेदिक टॉनिक है, जो शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित होता है और तेजी से प्रभाव दिखाता है। अशोकारिष्ट का प्रयोग प्रायः मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं जैसे अत्यधिक रक्तस्राव, अनियमित माहवारी, पेट दर्द, कमजोरी, थकान और हार्मोनल असंतुलन के उपचार में किया जाता है। अशोक की छाल गर्भाशय को मजबूत बनाती है और महिला जननांग तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है। इसके साथ इसमें द्राक्ष, गुड़, धातकी पुष्प, उडुम्बर, हरड़, बहेड़ा और आंवला जैसे अनेक औषधीय घटक मिलाए जाते हैं, जो इसे और भी प्रभावी बनाते हैं। अशोकारिष्ट का नियमित सेवन महिला शरीर में रक्त की कमी को दूर करने, दर्द में राहत प्रदान करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक माना जाता है। यह शरीर की रोग-प...

CHYAVANPRASH

  च्यवनप्राश  च्यवनप्राश आयुर्वेद की एक अत्यंत प्रसिद्ध, पौष्टिक और शक्तिवर्धक औषधि है, जिसका निर्माण अनेक जड़ी-बूटियों, फलों और प्राकृतिक तत्वों से किया जाता है। इसका नाम ऋषि च्यवन के नाम पर रखा गया है, जिन्हें यह औषधि पुनः यौवन लाभ कराने के लिए दी गई थी। च्यवनप्राश का मुख्य आधार आंवला होता है, जिसमें विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में बेहद प्रभावकारी है। च्यवनप्राश में लगभग 40 से अधिक औषधीय घटक शामिल होते हैं, जिनमें अश्वगंधा, गिलोय, पिप्पली, शतावरी, गोखरू, दालचीनी, लौंग, घी, तिल का तेल और शहद विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। ये सभी तत्व शरीर को बल, ऊर्जा और सहनशक्ति प्रदान करते हैं। च्यवनप्राश के नियमित सेवन से सर्दी-जुकाम, खांसी, कमजोरी, थकान और संक्रमण जैसी समस्याओं से शरीर को सुरक्षा मिलती है। यह औषधि फेफड़ों को मजबूत करती है और श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखती है। बच्चों में यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर उन्हें मौसम बदलाव के प्रभाव से बचाती है। वृद्धों के लिए यह ऊर्जा और स्फूर्ति का स्रोत माना जाता है। च्यवनप्राश पाचन तंत्र क...

SITOPALADI

  सितोपलादि चूर्ण  सितोपलादि चूर्ण आयुर्वेद की एक प्रसिद्ध और प्रभावी औषधि है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याओं के उपचार में किया जाता है। यह एक पारंपरिक हर्बल फॉर्मूला है, जिसमें मिश्री, वंशलोचन, छोटी पीपली, दालचीनी और इलायची जैसे प्राकृतिक तत्व शामिल होते हैं। ये सभी घटक मिलकर शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने, कफ को कम करने और श्वसन मार्ग को साफ रखने में मदद करते हैं। इस चूर्ण का प्रमुख लाभ खांसी, सर्दी, गले में खराश, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं में देखा जाता है। यह गले को आराम देता है और जमा हुआ कफ निकालने में सहायक होता है। मिश्री चूर्ण को स्वादिष्ट बनाती है और गले में कोमलता प्रदान करती है, जबकि पीपली और दालचीनी शरीर में गर्मी बढ़ाकर बलगम को कम करते हैं। वंशलोचन फेफड़ों को मजबूत बनाने में सहायक माना जाता है, वहीं इलायची पाचन में सुधार लाती है। सितोपलादि चूर्ण का सेवन आमतौर पर गुनगुने पानी, शहद या घी के साथ किया जाता है। बच्चों और बड़ों दोनों के लिए यह सुरक्षित माना जाता है, हालांकि मात्रा उम्र और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार बदल सकती है। य...

TRIPHALA

  त्रिफला  त्रिफला आयुर्वेद की एक अत्यंत प्रसिद्ध और प्रभावी औषधि है, जिसका नाम तीन फलों के संयोजन से बना है—आंवला, हरड़ और बहेड़ा। ये तीनों फल भारतीय चिकित्सा पद्धति में प्राचीन काल से उपयोग किए जाते रहे हैं और शरीर को स्वस्थ तथा संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। त्रिफला का मुख्य उद्देश्य शरीर को शुद्ध करना, पाचन तंत्र को मजबूत बनाना और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। आंवला विटामिन ‘सी’ का उत्कृष्ट स्रोत माना जाता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा को सशक्त बनाता है और त्वचा के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है। हरड़ शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है तथा पाचन क्रिया को दुरुस्त रखती है। वहीं बहेड़ा श्वसन तंत्र को मजबूत करता है और खांसी-जुकाम जैसी समस्याओं में लाभ पहुंचाता है। जब ये तीनों फल मिलकर त्रिफला बनाते हैं, तब इसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। त्रिफला को प्राकृतिक टॉनिक भी कहा जाता है क्योंकि यह शरीर की सभी धातुओं को संतुलन में रखने का कार्य करता है। इसे नियमित रूप से लेने से कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं। इसके अलावा त्रिफला आंख...

KABUL

  काबुल (Kabul)  काबुल अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह देश के पूर्वोत्तर भाग में काबुल नदी के किनारे स्थित है और समुद्र तल से लगभग 1,800 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है। काबुल न केवल राजनीतिक केंद्र है, बल्कि अफ़ग़ानिस्तान का सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षिक केंद्र भी माना जाता है। प्राचीन काल से ही यह शहर मध्य एशिया, ईरान और भारतीय उपमहाद्वीप के व्यापार मार्गों का प्रमुख संगम रहा है। काबुल का इतिहास करीब 3,500 वर्ष पुराना माना जाता है। यह शहर कई साम्राज्यों और शासकों के अधीन रहा, जिनमें मौर्य, कुषाण, ग़ज़नवी, तैमूरी, मुग़ल और दुर्रानी साम्राज्य शामिल हैं। बाबर, जिसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी, काबुल को बेहद प्रिय शहर मानता था। उसकी आत्मकथा तुग़लक–ए–बाबरी में काबुल की सुंदरता, बाग–बगीचे और जलवायु का विस्तृत वर्णन मिलता है। काबुल की भौगोलिक स्थिति इसे रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण बनाती है। यहाँ के चारों ओर ऊँचे पहाड़, घाटियाँ और संकरी दर्रियाँ हैं, जो इसे प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती हैं। शहर की जलवायु ठंडी और शुष्क रहती है। सर्दियों में तापमान शून्य ...

GHAZANI AFGANISTAN

  गज़नी (Ghazanī), अफ़ग़ानिस्तान  गज़नी अफ़ग़ानिस्तान का एक प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है, जो देश के दक्षिण–पूर्वी भाग में स्थित है। यह गज़नी प्रांत की राजधानी भी है और काबुल से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सदियों से गज़नी व्यापार, संस्कृति, शिक्षा और राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। इसका इतिहास हजारों वर्षों पुराना है, और इसे मध्य एशिया तथा भारतीय उपमहाद्वीप के बीच सेतु माना जाता है। गज़नी का नाम सुनते ही ग़ज़नवी वंश के प्रसिद्ध शासक मह्मूद ग़ज़नवी का नाम याद आता है, जिसने 11वीं शताब्दी में इस शहर को एक शक्तिशाली साम्राज्य की राजधानी बनाया था। मह्मूद ग़ज़नवी के शासनकाल में गज़नी कला, साहित्य, स्थापत्य और व्यापार का उत्कृष्ट केंद्र बन गया था। फारसी कवि फ़िरदौसी ने अपनी प्रसिद्ध रचना शाहनामा इसी काल में पूर्ण की थी, जिससे गज़नी का सांस्कृतिक महत्व और बढ़ गया। शहर में आज भी कई ऐतिहासिक स्मारक मौजूद हैं, जैसे—गज़नी के प्राचीन मीनार, सुल्तान मह्मूद का मक़बरा, मस्जिदें, और किले के अवशेष। ये सभी गज़नी के गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हैं। गज़नी को इस्लामी संस्कृति और फ...

MAIDAN SHAHAR

  मैयदान शहर (Maidan Shahr)  मैयदान शहर, जिसे मैयदान शाहर भी कहा जाता है, अफ़ग़ानिस्तान के वारदक प्रांत की राजधानी है। यह शहर देश के मध्य भाग में स्थित है और काबुल से लगभग 30–35 किलोमीटर दूर होने के कारण प्रशासनिक तथा रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। मैंदान शहर पहाड़ों, घाटियों और उपजाऊ मैदानी इलाकों से घिरा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करते हैं। यह क्षेत्र ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी काफी समृद्ध रहा है। यहाँ की आबादी मुख्यतः पश्तून समुदाय से संबंधित है, लेकिन अन्य स्थानीय समुदाय भी मिल-जुलकर रहते हैं। मैंदान शाहर पारंपरिक अफ़ग़ानी संस्कृति, ग्रामीण जीवनशैली और स्थानीय हस्तशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहाँ के लोग पारंपरिक कृषि, पशुपालन और छोटे व्यापारों पर निर्भर रहते हैं। मैयदान शहर का मौसम ठंडा और शुष्क रहता है। सर्दियों में यहाँ तापमान काफी नीचे चला जाता है और भारी बर्फबारी होती है, जबकि गर्मियाँ मध्यम और सुखद होती हैं। इस क्षेत्र की भूमि सिंचाई योग्य है, जिसके कारण यहाँ गेहूँ, जौ और फलों की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। शहर के आ...

HINDU KUSH MOUNTAIN RANGE

  हिन्दू कुश पर्वत श्रेणी  हिन्दू कुश पर्वत श्रेणी मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच फैली एक विशाल पर्वतमाला है, जो मुख्यतः अफ़ग़ानिस्तान में स्थित है और इसका विस्तार पाकिस्तान तक भी पहुँचता है। यह पर्वत श्रृंखला भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। लगभग 800 किलोमीटर लंबी यह श्रृंखला मध्य एशिया को भारतीय उपमहाद्वीप से अलग करती है और प्राचीनकाल से ही व्यापार, आवागमन और युद्धों की महत्वपूर्ण राह रही है। हिन्दू कुश नाम के बारे में विभिन्न मत मिलते हैं। एक मत के अनुसार, पुराने समय में कठिन रास्तों और कठोर मौसम के कारण कई भारतीय दास यहाँ की पहाड़ियों को पार करते समय मर जाते थे, इसलिए इसे "हिन्दू को मारने वाला" या "हिन्दू कुश" कहा गया। जबकि दूसरे इतिहासकार इसे सिर्फ एक प्राचीन भौगोलिक नाम मानते हैं, जिसका संबंध किसी जाति या धर्म से नहीं है। आज भी इसके नाम को लेकर शोध जारी है। यह पर्वत श्रृंखला अत्यंत दुर्गम और ऊँची चोटियों से भरी हुई है। इसकी कई चोटियाँ 7,000 मीटर से भी अधिक ऊँचाई रखती हैं। यहाँ का मौसम शुष्क, ठंडा और कभी–कभी अत्यंत...

BAMYAN

  बामियान (Bamyan)  बामियान अफ़ग़ानिस्तान के मध्य भाग में स्थित एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण नगर है। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन गुफाओं और बौद्ध कला के अवशेषों के लिए विश्वभर में जाना जाता है। बामियान हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है, जहाँ की जलवायु ठंडी, शुष्क और पहाड़ी है। यह इलाका इतिहास, धर्म और सभ्यताओं के संगम का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। बामियान की सबसे प्रसिद्ध पहचान यहाँ स्थित विशाल बुद्ध प्रतिमाएँ थीं, जिन्हें दुनिया की सबसे ऊँची खड़ी बुद्ध मूर्तियों में गिना जाता था। ये प्रतिमाएँ लगभग 6वीं शताब्दी में बनाई गई थीं और बौद्ध कला के उत्कृष्ट नमूने मानी जाती थीं। दुर्भाग्यवश, वर्ष 2001 में तालिबान शासन ने इन प्रतिमाओं को नष्ट कर दिया, जिससे पूरी मानवता को सांस्कृतिक क्षति पहुँची। आज भी इन प्रतिमाओं के खंडहर पर्यटन और अध्ययन का प्रमुख केंद्र हैं। बामियान की घाटियाँ बेहद मनमोहक हैं। यहाँ की बंद-ए-अमीर झीलें अफ़ग़ानिस्तान का पहला राष्ट्रीय उद्यान मानी जाती हैं। इन झीलों का फ़िरोज़ी रंग, शांत वातावरण और चार...

MAGADH EXPRESS

  मगध एक्सप्रेस (20801 / 20802) — रूट और सभी स्टॉपेज  मगध एक्सप्रेस एक प्रसिद्ध सुपरफास्ट ट्रेन है, जो 20801 और 20802 नंबरों पर चलती है। 20801 = इस्लामपुर (IPR) → नई दिल्ली (NDLS) 20802 = नई दिल्ली (NDLS) → इस्लामपुर (IPR) मगध एक्सप्रेस – स्टॉपेज (रूट में आते-जाते स्टेशन) यहाँ ट्रेन 20801 और 20802 दोनों के प्रमुख स्टेशनों की सूची दी गई है: 20801 (इस्लामपुर → नई दिल्ली) के स्टॉपेज: इस्लामपुर (IPR) एकंगर सराय (Ekangar Sarai) हिलसा ब्लॉक (Hilsa) दनियावां बाज़ार हॉल्ट (Daniyawan Bazar Halt) फतुआ / फतवा (Fatuha) पटना साहेब (Patna Saheb) राजेंद्र नगर टर्मिनल, पटना (Rajendra Nagar T) पटना जंक्शन (Patna Jn, PNBE) फुलवारी शरीफ (Phulwari Sharif) दानापुर (Danapur) बिहटा (Bihta) आरा जंक्शन (Ara) बिहिया (Bihiya) रघुनाथपुर (Raghunathpur) दमраोन (Dumraon) बक्सर (Buxar) गहमर (Gahmar) दिलदारनगर जंक्शन (Dildarnagar Jn) जमनिया (Zamania) पीट डी.डी. उपाध्याय जंक्शन (Pt Deen Dayal Upadhyaya Jn, DDU) मिर्जापुर (Mirzapur) विन्ध्याचल (Vindhyachal) प्रयागराज जंक्शन...

SAMPOORNA KRANTI EXPRESS

  संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस  संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस (Train संख्या 12393 / 12394) एक प्रमुख सुपरफास्ट ट्रेन है जो नई दिल्ली (NDLS) और पटना के राजेंद्र नगर टर्मिनल (RJPB) को जोड़ती है। इस ट्रेन को “आम जनता की राजधानी” भी कहा जाता है क्योंकि यह तेज़ गति के साथ भी अधिक किफ़ायती है। यह ट्रेन दैनिक चलती है और लगभग 1000 किमी की दूरी को लगभग 13 घंटे 45 मिनट में तय करती है। रूट और स्टॉपेज (12394 – नई दिल्ली से राजेंद्र नगर टर्मिनल की यात्रा) इसका प्रमुख मार्ग और स्टॉपेज इस प्रकार है: नई दिल्ली (NDLS) – प्रस्थान स्टेशन कानपुर सेंट्रल (Kanpur Central, CNB) – यहाँ 8 मिनट का ठहराव होता है। मिर्जापुर (Mirzapur, MZP) – बहुत छोटा ठहराव, लगभग 2 मिनट। पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (DDU) – लगभग 10 मिनट का ठहराव। आरा जंक्शन (ARA) – हाल ही में इसमें स्टॉपेज जोड़ा गया है। दानापुर (Danapur, DNR) – 2 मिनट का रुकना। पटना जंक्शन (Patna, PNBE) – 10 मिनट तक ठहराव। राजेंद्र नगर टर्मिनल, पटना (RJPB) – अंतिम गंतव्य। महत्व और विशेषताएँ यह ट्रेन नई दिल्ली और बिहार के बीच तेज़ और भ...

GULSHAN KUMAR

  गुलशन कुमार  गुलशन कुमार भारतीय संगीत जगत के वह महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने पूरी मनोरंजन-उद्योग की दिशा बदल दी। उनका नाम संगीत, भक्ति और उद्यमशीलता का पर्याय माना जाता है। गुलशन कुमार का जन्म 5 मई 1956 को दिल्ली के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक छोटी-सी जूस की दुकान चलाते थे, जहाँ गुलशन कुमार भी मदद किया करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने छोटे स्तर पर ऑडियो कैसेट बेचने का काम शुरू किया और फिर यही उनका जीवन बदलने का आधार बना। गुलशन कुमार ने 1980 के दशक में टी-सीरीज कंपनी की स्थापना की। उस समय हिंदी फिल्मों के गीतों के कैसेट बेहद महंगे हुआ करते थे। उन्होंने कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता वाले ऑडियो कैसेट बाजार में उपलब्ध कराकर पूरे संगीत उद्योग में क्रांति ला दी। उनकी कंपनी ने जल्दी ही लोकप्रियता हासिल कर ली और आज टी-सीरीज दुनिया की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में से एक है। गुलशन कुमार को भक्ति संगीत से विशेष लगाव था। उन्होंने भक्तिमय एल्बम, आरती और भजन को देश-भर में घर-घर तक पहुँचाया। देवी-देवताओं के भजन, रामायण-महाभारत के मंत्र और भक्ति गीतों को सरल भाषा और मधुर धुनों मे...

IAS TINA DABI

  टीना डाबी टीना डाबी भारत की उन प्रेरणादायी युवाओं में से एक हैं जिन्होंने कठिन परिश्रम, अनुशासन और स्पष्ट लक्ष्य के बल पर सफलता की नई मिसाल पेश की है। वह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा 2015 की टॉपर रहीं और मात्र 22 वर्ष की आयु में यह उपलब्धि हासिल कर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। टीना डाबी का जन्म 9 नवंबर 1993 को भोपाल, मध्य प्रदेश में हुआ, लेकिन उनका पालन-पोषण दिल्ली में हुआ। पढ़ाई में बचपन से ही मेधावी रहीं टीना ने लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक किया। टीना डाबी ने यूपीएससी की तैयारी के दौरान अपनी रणनीति को बहुत व्यवस्थित रखा। उन्होंने नियमित अध्ययन, नोट्स बनाने, मॉक टेस्ट देने और निरंतर रिवीजन को अपनी दिनचर्या का प्रमुख हिस्सा बनाए रखा। परीक्षा में उनका वैकल्पिक विषय राजनीति विज्ञान एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध (PSIR) था। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि लक्ष्य स्पष्ट हो और कार्य करने की लगन हो, तो किसी भी कठिन परीक्षा को पार किया जा सकता है। आईएएस बनने के बाद टीना डाबी ने राजस्थान कैडर ज्वॉइन किया। उन्होंने अनेक जिलों में जिम्मेदार प...

BAGH EXPRESS

  बाघ एक्सप्रेस (Bagh Express) बाघ एक्सप्रेस (Bagh Express) भारतीय रेलवे की एक महत्वपूर्ण मेल / एक्सप्रेस ट्रेन है, जो काठगोदाम (Uttarakhand) से हावड़ा जंक्शन (पश्चिम बंगाल) के बीच प्रतिदिन चलती है। इस ट्रेन के परिचालन नंबर 13020 (काठगोदाम → हावड़ा) और 13019 (हावड़ा → काठगोदाम) हैं। बाघ एक्सप्रेस की यात्रा लगभग 37 घंटे 20 मिनट लेती है और लगभग 1512–1514 किलोमीटर की दूरी तय करती है। ट्रेन की औसत गति करीब 41 किमी/घंटा है। इस ट्रेन का маршрут बहुत लंबा और विविध है, जो उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के कई महत्वपूर्ण स्टेशनों को जोड़ता है। कुछ प्रमुख ठहराव निम्नलिखित हैं (13020 की दिशा में): काठगोदाम , हल्द्वानी , लाल कुआँ , रुद्रपुर सिटी , बिलासपुर रोड , रामपुर , बरेली जंक्शन , शाहजहांपुर , रोज़ा जंक्शन , हरदोई , लखनऊ , बाराबंकी , जरवल रोड , गोंडा , मनकापुर , बस्ती , खलीलाबाद , गोरखपुर , चौरी चौरा , डोरिया सदर , भटनी , भतपर रानी , मैर्जा (मैअरवा) , झीरादेई , सिवान , दौरौन्धा , चैनवा , एकमा , दौदपुर , और अंत में हावड़ा जंक्शन । बाघ एक्सप्रेस यात्रियों में बहुत...

GARIB RATH

  गरीब रथ  गरीब रथ भारतीय रेलवे द्वारा संचालित एक विशेष श्रेणी की ट्रेन है, जिसे आर्थिक रूप से कमजोर तथा मध्यम वर्ग के यात्रियों को किफायती और आरामदायक यात्रा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इसकी शुरुआत 2006 में तत्कालीन रेल मंत्री श्री लालू प्रसाद यादव द्वारा की गई थी। गरीब रथ का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि आम नागरिक भी कम किराए में एसी कोचों का आनंद ले सकें और लंबी दूरी की यात्रा बिना अधिक खर्च के कर सकें। गरीब रथ ट्रेनें पूरी तरह से वातानुकूलित होती हैं, जिनमें एसी चेयर कार और एसी थ्री-टियर कोच शामिल होते हैं। इन कोचों में सीटों की संख्या सामान्य एसी कोचों से अधिक होती है, जिससे अधिक यात्रियों को सुविधा मिलती है। इसके बावजूद, यात्रियों की सुरक्षा और आराम का पूरा ध्यान रखा जाता है। गरीब रथ का किराया सामान्य एसी ट्रेनों की तुलना में लगभग 30–40 प्रतिशत तक कम होता है, जो इसे आम जनता के लिए अत्यंत आकर्षक विकल्प बनाता है। गरीब रथ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह यात्रियों को समय पर और तेज गति से गंतव्य तक पहुंचाने में सक्षम है। इस ट्रेन में खान-पान की अनि...

TATA SAMPANN

  टाटा संपन्न  टाटा संपन्न (Tata Sampann) टाटा ग्रुप का एक प्रमुख ब्रांड है, जो उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादों के लिए जाना जाता है। इस ब्रांड की शुरुआत मुख्य रूप से भारतीय घरों में पौष्टिक और स्वादिष्ट खाद्य सामग्री पहुंचाने के उद्देश्य से की गई थी। टाटा संपन्न का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ और सुरक्षित उत्पाद उपलब्ध कराना है, जो उनके दैनिक आहार को बेहतर बनाए। टाटा संपन्न के उत्पादों में मुख्य रूप से दालें, आटा, मसाले, अनाज और अन्य खाद्य सामग्री शामिल हैं। इन उत्पादों को आधुनिक तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल से बनाया जाता है। टाटा संपन्न उत्पाद न केवल स्वाद में बेहतरीन होते हैं, बल्कि पौष्टिकता में भी उच्च स्तर के होते हैं। इसके अलावा, यह ब्रांड अपने उत्पादों में रसायनों और हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल नहीं करता, जिससे यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बनता है। टाटा संपन्न की सबसे बड़ी खासियत इसका गुणवत्ता और सुरक्षा पर ध्यान देना है। यह ब्रांड अपने उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग में भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करता है, जिससे उत्पाद ...

EIGHT O' CLOCK

  ब्रांड “Eight O’ Clock”  “Eight O’ Clock” एक प्रसिद्ध कॉफी ब्रांड है, जिसे अमेरिका में शुरू किया गया था और आज यह दुनिया भर में लोकप्रिय है। इस ब्रांड का नाम “Eight O’ Clock” इसलिए रखा गया क्योंकि इसके प्रारंभिक समय के अनुसार सुबह आठ बजे कॉफी पीना एक आदत और परंपरा बन गई थी। यह ब्रांड गुणवत्ता और स्वाद में विशेष माना जाता है। Eight O’ Clock कॉफी की शुरुआत 1859 में हुई थी। इसे दुनिया के बेहतरीन बीन्स से तैयार किया जाता है, जिससे इसका स्वाद हमेशा ताज़ा और सुगंधित रहता है। यह ब्रांड अपने ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की कॉफी विकल्प प्रदान करता है, जैसे कि ड्रिप कॉफी, ग्राउंड कॉफी और बीन कॉफी। इसके अलावा, इसका रोस्टिंग प्रोसेस भी बहुत खास होता है, जो कॉफी के स्वाद और खुशबू को बनाए रखता है। इस ब्रांड की लोकप्रियता का मुख्य कारण इसकी गुणवत्ता और ग्राहकों के प्रति निष्ठा है। Eight O’ Clock कॉफी हमेशा ताज़ा होती है और इसमें कॉफी के प्राकृतिक स्वाद और सुगंध को बनाए रखा जाता है। यह ब्रांड घर पर कॉफी बनाने के लिए भी उपयुक्त है और कैफे में पीने के लिए भी। इसके पैकेजिंग और ब्रांडिंग का डिज...

RAMPUR INDIAN SINGLE MALT

  रामपुर इंडियन सिंगल माल्ट (Rampur Indian Single Malt)  रामपुर इंडियन सिंगल माल्ट व्हिस्की, राडिको खैटान लिमिटेड की एक प्रीमियम और विशेष व्हिस्की है, जिसे भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की की परंपरा को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार किया गया है। यह व्हिस्की भारतीय मिट्टी, अनाज और स्थानीय जल स्रोतों का उपयोग करके बनाई जाती है, जिससे इसे विशिष्ट भारतीय स्वाद और सुगंध मिलती है। Rampur Single Malt ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने प्रीमियम और स्टाइलिश स्वाद के कारण खास पहचान बनाई है। रामपुर सिंगल माल्ट की खासियत इसका समृद्ध और संतुलित फ्लेवर है। इसमें हल्की मिठास, मसाले और बारिक फलों की खुशबू मिलती है, जो इसे किसी भी खास अवसर या सोशल इवेंट के लिए आदर्श बनाती है। इसका स्मूद और लंबा फिनिश इसे भारतीय व्हिस्की प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय बनाता है। इसकी सुगंध और स्वाद एक पारंपरिक भारतीय व्हिस्की अनुभव प्रदान करते हैं, जो वैश्विक स्तर पर भी सराहनीय है। Rampur Single Malt का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले अनाज तथा शुद्ध जल का उपयोग करके किया जाता है। यह व्हि...

MORPHEUS

  मॉर्फियस (Morpheus मॉर्फियस (Morpheus) राडिको खैटान लिमिटेड की एक प्रीमियम व्हिस्की ब्रांड है, जिसे विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता, स्टाइलिश पैकेजिंग और स्मूद स्वाद के लिए तैयार किया गया है। यह ब्रांड भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्हिस्की प्रेमियों के बीच अपनी अनोखी पहचान बना चुका है। Morpheus का उद्देश्य उन लोगों को प्रीमियम और समृद्ध अनुभव प्रदान करना है, जो सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि सोफिस्टिकेशन और ग्लैमर के अनुभव की तलाश में हैं। Morpheus व्हिस्की की खासियत इसका गहरा रंग, संतुलित फ्लेवर और स्मूद फिनिश है। इसमें हल्की मिठास और मसाले का परिपूर्ण मिश्रण होता है, जो इसे किसी भी विशेष अवसर या सोशल इवेंट में पीने के लिए आदर्श बनाता है। इस व्हिस्की की सुगंध और स्वाद उसे भारतीय बाजार में अन्य ब्रांडों से अलग पहचान दिलाते हैं। Morpheus का नाम ही उसके लक्ज़री और एलिगेंस को दर्शाता है। इस व्हिस्की का निर्माण उच्च गुणवत्ता वाले अनाज और शुद्ध पानी का उपयोग करके किया जाता है। उत्पादन प्रक्रिया अत्याधुनिक तकनीक और कठोर गुणवत्ता नियंत्रण मानकों के तहत होती है, ताकि हर बोतल में उत्कृष्टता सुनिश्चि...

CONTESSA

  कॉन्टेसा (Contessa)  कॉन्टेसा राडिको खैटान लिमिटेड की एक प्रमुख और प्रतिष्ठित ब्रांडेड व्हिस्की है, जिसे विशेष रूप से भारतीय बाजार के लिए तैयार किया गया है। यह ब्रांड अपने उच्च गुणवत्ता वाले सामग्री, मधुर स्वाद और स्मूद टेक्सचर के लिए प्रसिद्ध है। Contessa व्हिस्की ने भारतीय व्हिस्की प्रेमियों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है और यह विशेष अवसरों और समारोहों में पीने के लिए बेहद लोकप्रिय हो चुकी है। Contessa की खासियत इसका समृद्ध और संतुलित फ्लेवर है, जिसमें हल्की मिठास और स्मूद फिनिश का उत्कृष्ट मिश्रण होता है। यह व्हिस्की पीने में न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसके सुगंधित नोट इसे अन्य ब्रांडों से अलग बनाते हैं। Contessa का क्रिस्टल क्लियर रंग और प्रीमियम पैकेजिंग इसे उपहार देने और पार्टियों में प्रस्तुत करने के लिए आदर्श बनाती है। Contessa व्हिस्की का उत्पादन आधुनिक तकनीक और कठोर गुणवत्ता नियंत्रण मानकों के तहत किया जाता है। इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री विशेष रूप से चयनित होती है और उत्पादन प्रक्रिया शुद्धता और उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करती है। यही कारण है कि यह ब्र...

MAGIC MOMENTS

  मैजिक मोमेंट्स (Magic Moments)  मैजिक मोमेंट्स भारत की सबसे लोकप्रिय वोडका ब्रांडों में से एक है, जिसे राडिको खैटान लिमिटेड द्वारा निर्मित किया जाता है। यह ब्रांड विशेष रूप से अपने उच्च गुणवत्ता वाले सामग्री, शुद्ध स्वाद और स्मूद टेक्सचर के लिए जाना जाता है। Magic Moments ने भारतीय शराब बाजार में तेजी से लोकप्रियता हासिल की है और इसे युवाओं तथा वोडका प्रेमियों के बीच पहली पसंद माना जाता है। Magic Moments वोडका का निर्माण पूरी तरह से उच्च गुणवत्ता वाली अनाज आधारित सामग्री और शुद्ध पानी के इस्तेमाल से किया जाता है। इसकी खासियत इसका क्रिस्टल क्लियर रंग, हल्का और स्मूद फ्लेवर है, जो इसे किसी भी अवसर पर पीने के लिए उपयुक्त बनाता है। इस वोडका का स्वाद हल्का, ताजगी भरा और लंबे समय तक स्मूद फिनिश देने वाला होता है, जिससे यह भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विशेष रूप से लोकप्रिय हुआ है। Magic Moments ने कई फ्लेवर वेरिएंट भी लॉन्च किए हैं, जैसे लिक्विड, फल और अन्य फ्यूजन फ्लेवर, जो युवा पीढ़ी और पार्टी कल्चर के लिए आदर्श हैं। इन फ्लेवरों के कारण यह ब्रांड अलग-अलग अवसरों और कार्यक्...

8 PM RED WHISKEY

  8 PM रेड व्हिस्की  8 PM रेड व्हिस्की भारत की एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय व्हिस्की ब्रांड है, जिसे राडिको खैटान लिमिटेड द्वारा निर्मित किया जाता है। यह ब्रांड विशेष रूप से अपनी उच्च गुणवत्ता, स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है। 8 PM रेड व्हिस्की ने भारतीय बाजार में अपने स्वादिष्ट और मधुर मिश्रण के कारण तेजी से लोकप्रियता हासिल की है और यह युवाओं से लेकर अनुभवी व्हिस्की प्रेमियों तक सभी के बीच पसंदीदा बन गई है। 8 PM रेड व्हिस्की का नाम “8 PM” इसलिए रखा गया क्योंकि इसे आमतौर पर शाम के समय आनंद और सामाजिक मिलन के अवसर पर पीने के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसकी खासियत इसका समृद्ध और संतुलित फ्लेवर है, जिसमें हल्की मिठास और स्मूथ फिनिश मौजूद होती है। यह व्हिस्की पीने में न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसके सुगंधित और हल्के मसालेदार नोट इसे अन्य व्हिस्की से अलग बनाते हैं। इस व्हिस्की का उत्पादन अत्याधुनिक तकनीक और कठोर गुणवत्ता नियंत्रण मानकों के अनुसार किया जाता है। 8 PM रेड व्हिस्की में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और प्रक्रिया इसे उच्च स्तर का गुणवत्ता उत्पाद बनाती है। इसके अलावा, ...

RADICO KHAITAN

  राडिको खैटान (Radico Khaitan)  राडिको खैटान लिमिटेड भारत की प्रमुख शराब और बीवरेज निर्माता कंपनियों में से एक है। इसकी स्थापना 1943 में हुई थी और यह अपने उच्च गुणवत्ता वाले ब्रांडेड स्पिरिट्स, व्हिस्की, रम, वोडका, जिन और अन्य अल्कोहलिक पेयों के लिए प्रसिद्ध है। कंपनी का उद्देश्य भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विश्वसनीय और प्रीमियम शराब उत्पाद उपलब्ध कराना है। राडिको खैटान के प्रमुख उत्पादों में 8 PM, Magic Moments, Contessa, Morpheus, Rampur Indian Single Malt जैसे ब्रांड शामिल हैं। 8 PM रेड व्हिस्की कंपनी की सबसे लोकप्रिय व्हिस्की ब्रांड है और भारतीय बाजार में इसके लिए एक मजबूत पहचान बनाई है। Magic Moments वोडका अपने स्वाद और गुणवत्ता के कारण युवाओं में बेहद लोकप्रिय है। इसके अलावा, कंपनी के अन्य प्रीमियम ब्रांड्स ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति प्राप्त की है। कंपनी की उत्पादन प्रक्रिया अत्याधुनिक तकनीक और गुणवत्ता नियंत्रण मानकों के अनुरूप होती है। राडिको खैटान ने निरंतर नवाचार और ब्रांडिंग पर जोर दिया है, जिससे यह भारतीय शराब उद्योग में अग्रणी बनी हुई है। इसके उ...