ARTICLE 164 OF INDIAN CONSTITUTION
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (Article 164
अनुच्छेद 164 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो राज्यों में मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) तथा मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति से संबंधित है। यह अनुच्छेद राज्य के कार्यपालिका ढांचे को स्पष्ट करता है और बताता है कि राज्य सरकार कैसे गठित होती है और मंत्रियों की जिम्मेदारियाँ क्या होती हैं।
अनुच्छेद 164 का मुख्य सार
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मुख्यमंत्री की नियुक्ति
राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल (Governor) द्वारा की जाती है। -
अन्य मंत्रियों की नियुक्ति
मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल अन्य मंत्रियों को नियुक्त करते हैं।
इसका अर्थ है कि मंत्रिपरिषद गठन में मुख्यमंत्री की प्रमुख भूमिका होती है। -
मंत्रियों का सामूहिक उत्तरदायित्व
सभी मंत्री, मुख्यमंत्री के नेतृत्व में, राज्य की विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं।
यानी सरकार विधानसभा के विश्वास पर चलती है। -
मंत्रियों का पद पर बने रहने की शर्त
मंत्री जब तक राज्यपाल की इच्छा पर पद धारण करें—यह संवैधानिक रूप से लिखा है, पर व्यवहारिक रूप से वे विधानसभा में बहुमत बनाए रखने तक पद पर रहते हैं। -
विशेष प्रावधान – कुछ राज्यों के लिए
अनुच्छेद 164 में प्रारम्भिक रूप से बिहार, उड़ीसा (ओडिशा) और मध्यप्रदेश के लिए जनजातीय कल्याण मंत्री (Tribal Welfare Minister) नियुक्त करने का प्रावधान था।
बाद में छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों की स्थापना के बाद इन राज्यों में भी यही शर्त लागू होती है। -
मंत्रियों की शपथ
मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ राज्यपाल दिलाते हैं। -
संविधान (91वां संशोधन) के बाद
मंत्रिपरिषद का आकार सीमित कर दिया गया है—कोई भी राज्य अपनी विधान सभा के कुल सदस्यों के 15% से अधिक मंत्री नहीं रख सकता।
छोटे राज्यों में न्यूनतम तीन मंत्री रखने का प्रावधान है।
संक्षेप में
अनुच्छेद 164 यह सुनिश्चित करता है कि राज्य की कार्यपालिका सुव्यवस्थित ढंग से चले, मुख्यमंत्री की भूमिका सशक्त हो और मंत्री सामूहिक रूप से जनता द्वारा चुनी गई विधानसभा के प्रति उत्तरदायी रहें। यह राज्य सरकार के गठन और संचालन की संवैधानिक रीढ़ है।
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