HERAT

 

हेरात (Herat) 

हेरात अफ़ग़ानिस्तान का एक अत्यंत प्राचीन, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर है। यह देश के पश्चिमी भाग में स्थित है और ईरान की सीमा के निकट होने के कारण सदियों से व्यापार, कला और संस्कृति का प्रमुख केंद्र रहा है। हेरात को अफ़ग़ानिस्तान की “सांस्कृतिक राजधानी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ साहित्य, सुलेख, चित्रकला और वास्तुकला की समृद्ध परंपरा विकसित हुई।

हेरात का इतिहास लगभग 2,500 वर्षों से भी अधिक पुराना माना जाता है। प्राचीन काल में यह आर्य और फ़ारसी सभ्यताओं के प्रभाव में विकसित हुआ। बाद में सिकंदर महान यहाँ पहुँचा और इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल किया। मध्यकालीन काल में तैमूर वंश के शासन के दौरान हेरात ने कला और ज्ञान का स्वर्णिम युग देखा। उस समय यह शहर इस्लामी कला, फ़ारसी कविता और सूफ़ी संस्कृति का प्रमुख केंद्र बन गया था। प्रसिद्ध सूफ़ी संत ख्वाजा अब्दुल्ला अंसारी भी हेरात से संबंधित थे।

हेरात की वास्तुकला अत्यंत मोहक है। यहाँ की ‘जुम्मा मस्जिद’ अपनी फ़िरोज़ी टाइलों और सुंदर नक़्क़ाशी के लिए प्रसिद्ध है। हेरात किला, जिसे अलेक्जेंडर का किला भी कहा जाता है, प्राचीन इतिहास का भव्य उदाहरण है। यह शहर रेशम मार्ग (Silk Route) का एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा, जहाँ से व्यापारियों, क़ाफ़िलों और यात्रियों का सतत आवागमन होता था।

कृषि और हस्तशिल्प के क्षेत्र में भी हेरात का विशेष योगदान है। यहाँ के कालीन, क़ालीन-बुनाई, रेशमी वस्त्र और पारंपरिक हस्तकला विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। हेरात के अंगूर, केसर और अनार की गुणवत्ता भी विशेष मानी जाती है।

हाल के दशकों में संघर्षों के बावजूद हेरात ने अपनी सांस्कृतिक चमक और ऐतिहासिक महत्व को जीवित रखा है। यह शहर अफ़ग़ानिस्तान की सहनशीलता, कला और प्राचीन विरासत का जीवंत प्रतीक है, जो आज भी गौरव और महानता की कहानी सुनाता है।

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