CCI
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI)
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India – CCI) भारत की एक महत्वपूर्ण नियामक संस्था है, जिसकी स्थापना 2003 में प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002) के तहत की गई थी। CCI का मुख्य उद्देश्य बाज़ार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना तथा व्यवसायों में स्वस्थ व्यापारिक वातावरण को बढ़ावा देना है। यह संस्था प्रतिकूल व्यापारिक प्रथाओं पर रोक लगाकर भारतीय अर्थव्यवस्था के कुशल संचालन में अहम भूमिका निभाती है।
CCI उन गतिविधियों की जाँच और रोकथाम करता है जो प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करती हैं, जैसे—कार्टेल बनाना, मूल्य निर्धारण में सांठगांठ, बाजार में प्रभुत्व का दुरुपयोग, या किसी कंपनी द्वारा अपने बड़े बाज़ार हिस्से का गलत तरीके से इस्तेमाल। यदि कोई कंपनी या समूह अपने शक्ति-प्रवाह का दुरुपयोग करता है, तो CCI उसे दंडित कर सकता है और आवश्यक निर्देश जारी कर सकता है।
इसके अलावा, CCI विलय और अधिग्रहण (Merger & Acquisition) के प्रस्तावों की भी समीक्षा करता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी बड़े विलय से प्रतिस्पर्धा कम न हो या उपभोक्ताओं का नुकसान न हो। जिन कंपनियों के विलय का असर बाज़ार पर व्यापक रूप से पड़ सकता है, उनके प्रस्ताव CCI की अनुमति के बिना लागू नहीं किए जा सकते।
CCI में एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं, जो सरकारी नियुक्तियों के आधार पर अपने दायित्व निभाते हैं। यह संस्था कानूनी, आर्थिक और व्यापारिक विशेषज्ञों की मदद से निर्णय लेती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते उदारीकरण और वैश्वीकरण के दौर में CCI की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। यह संस्था बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने, उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करने, और व्यवसायों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के माध्यम से देश की आर्थिक स्थिरता और निवेश-अनुकूल वातावरण को मजबूत बनाती है।
इस प्रकार CCI आधुनिक भारतीय बाज़ार व्यवस्था का एक अनिवार्य स्तंभ है।
Comments
Post a Comment