IBBI

 

इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) 

इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) भारत सरकार की एक प्रमुख नियामक संस्था है, जिसकी स्थापना दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code – IBC) के तहत की गई थी। IBBI का मुख्य उद्देश्य दिवाला समाधान प्रक्रिया को पारदर्शी, तेज़ और प्रभावी बनाना है। यह संस्था कंपनियों, साझेदारी फर्मों और व्यक्तियों के दिवाला मामलों के लिए एक सुव्यवस्थित ढाँचा प्रदान करती है, ताकि आर्थिक गतिविधियाँ निरंतर चलती रहें और वित्तीय जोखिम कम हो सके।

IBBI दिवाला पेशेवरों (Insolvency Professionals – IPs), दिवाला पेशेवर संस्थानों (IPAs) और सूचना उपयोगिता (Information Utilities – IUs) को नियमन और निरीक्षण करता है। यह सुनिश्चित करता है कि दिवाला मामलों में शामिल सभी पक्ष—कर्जदाता, देनदार, पेशेवर और न्यायिक प्राधिकरण—नियमों का पालन करें और समाधान प्रक्रिया समयबद्ध हो।

IBBI का कार्य प्रमुख रूप से तीन क्षेत्रों में केंद्रित है—विनियमन (Regulation), नीति निर्माण (Policy-making) और निगरानी (Supervision)। यह संस्था दिवाला पेशेवरों के लिए परीक्षा आयोजित करती है, उनके लाइसेंस जारी करती है, और प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए नियमित निरीक्षण एवं ऑडिट करती है।

इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया के दौरान NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) और NCLAT के साथ सहयोग करके IBBI यह सुनिश्चित करता है कि बड़े कॉर्पोरेट दिवाला मामलों का समाधान तेजी से हो सके। IBBI समय-समय पर नियमों में संशोधन भी करता है, ताकि बदलती आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार दिवाला ढाँचा अधिक प्रभावी हो सके।

भारत में निवेश बढ़ाने, व्यवसायिक जोखिम घटाने और कंपनियों को वित्तीय संकट से उबारने में IBBI की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संस्था के कारण दिवाला प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और निवेशकों के लिए भरोसेमंद बन पाई है।

समग्र रूप से IBBI भारतीय वित्तीय प्रणाली का एक मज़बूत स्तंभ है, जो आर्थिक स्थिरता और व्यापारिक वातावरण को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

Comments

Popular posts from this blog

GUJARATI ALPHABETS AND SYMBOLS

MAHUA BAGH GHAZIPUR