KANDHAR

 

कंधार (Kandhar) 

कंधार अफ़ग़ानिस्तान का एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर है। यह देश के दक्षिणी भाग में स्थित है और पख़्तून बहुल क्षेत्र का प्रमुख केंद्र माना जाता है। कंधार का इतिहास लगभग 3,000 वर्ष पुराना है, जिसमें कई साम्राज्यों, युद्धों और सांस्कृतिक बदलावों की छाप देखी जाती है। इसे अफ़ग़ान इतिहास का हृदय भी कहा जाता है, क्योंकि कई महत्वपूर्ण राजवंशों और शासकों ने यहीं से शासन की नींव रखी थी।

कंधार की स्थापना प्राचीन काल में यूनानी शासक सिकंदर महान से भी जोड़ी जाती है। माना जाता है कि सिकंदर ने अपने अभियानों के दौरान इस क्षेत्र में एक नगर बसाया था, जिसे आगे चलकर कंधार का रूप मिला। मध्यकालीन इतिहास में कंधार मुग़लों और फ़ारसियों के बीच संघर्ष का प्रमुख केंद्र रहा। मुग़ल सम्राट अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के काल में कंधार को लेकर अनेक युद्ध हुए, क्योंकि यह व्यापार और सैन्य दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मार्ग पर स्थित था।

कंधार आज भी अफ़ग़ानिस्तान की संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण प्रतीक है। यहाँ पख़्तून संस्कृति, रीति-रिवाज और लोककला की गहरी छाप देखने को मिलती है। शहर में बाबा वली की दरगाह, कंधार किला और पुरातात्त्विक महत्व के कई स्थल महत्वपूर्ण आकर्षण हैं। कृषि के क्षेत्र में भी कंधार की पहचान विशिष्ट है; यहाँ के अनार, अंगूर और ख़ूबानी पूरी दुनिया में मशहूर हैं।

हालाँकि पिछले दशकों में कंधार संघर्ष और अस्थिरता से प्रभावित रहा है, फिर भी यह शहर अफ़ग़ानिस्तान की दृढ़ता, परंपरा और ऐतिहासिक महत्ता का प्रतीक बना हुआ है। कंधार न सिर्फ़ एक शहर है बल्कि अफ़ग़ान सभ्यता की धरोहर और उनके संघर्ष व साहस की जीवंत कहानी भी प्रस्तुत करता है।

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