INDIAN CORPORATE LAW SERVICE
इंडियन कॉर्पोरेट लॉ सर्विस (ICLS)
इंडियन कॉर्पोरेट लॉ सर्विस (ICLS) भारत सरकार की एक विशिष्ट सिविल सेवा है, जो कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs – MCA) के अधीन कार्य करती है। इस सेवा का मुख्य उद्देश्य देश में कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए एक मजबूत, पारदर्शी और सुचारू रूप से संचालित कानूनी ढाँचा तैयार करना तथा कंपनियों की गतिविधियों पर नियामकीय नियंत्रण रखना है।
ICLS अधिकारियों की भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा और ICLS विशेष भर्ती परीक्षा (यदि आयोजित हो) के माध्यम से की जाती है। चयनित अधिकारियों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (IICA), मानेसर में विस्तृत प्रशिक्षण दिया जाता है, जहाँ वे कंपनी कानून, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (IBC), कॉर्पोरेट प्रशासन, फाइनेंशियल रेगुलेशन, ऑडिटिंग तथा अन्य विधिक प्रावधानों की गहन शिक्षा प्राप्त करते हैं।
इस सेवा के अधिकारियों का कार्यक्षेत्र व्यापक है। वे रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ (ROC) और ऑफ़िस ऑफ़ द ऑफ़िशियल लिक्विडेटर (OL) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए कंपनियों के पंजीकरण, विनियमन और निरीक्षण की जिम्मेदारी निभाते हैं। उनका दायित्व है कि कंपनियाँ कंपनी अधिनियम, 2013 और अन्य संबंधित कानूनों का पालन करें।
ICLS अधिकारी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी की जाँच, कंपनी खातों की निगरानी, निवेशकों की सुरक्षा, तथा कॉर्पोरेट विवादों में कानूनी कार्रवाई को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। वे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) से संबंधित मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डिजिटल अर्थव्यवस्था और कॉर्पोरेट गतिविधियों के विस्तार के दौर में ICLS की भूमिका और अधिक बढ़ गई है। यह सेवा सुनिश्चित करती है कि भारत का कॉर्पोरेट जगत विश्वसनीय, पारदर्शी और निवेशकों के अनुकूल बना रहे। इस प्रकार इंडियन कॉर्पोरेट लॉ सर्विस देश की आर्थिक प्रणाली को मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में कार्य करती है।
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