GANGAIKODA CHOLAPURAM
गंगैकोंड चोलपुरम
गंगैकोंड चोलपुरम दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य की एक ऐतिहासिक राजधानी थी, जिसे महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम ने 11वीं शताब्दी में स्थापित किया था। “गंगैकोंड” नाम का अर्थ है—“गंगा को जीतने वाला”। राजेंद्र चोल ने उत्तरी भारत तक अपना विस्तार किया और गंगा नदी तक विजय प्राप्त की। इसी उपलब्धि के उपलक्ष्य में उन्होंने यह नई राजधानी बसाई और इसे “गंगैकोंड चोलपुरम” नाम दिया।
यह नगर चोल साम्राज्य के राजनीतिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ। यहाँ का सबसे प्रसिद्ध स्मारक है गंगैकोंड चोलेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य का श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। इसका निर्माण बृहदेश्वर मंदिर की शैली से प्रेरित है, पर इसकी संरचना अधिक संतुलित, सौम्य और कलात्मक मानी जाती है। मंदिर का विशाल नंदी, खूबसूरत मूर्तिकला और शिल्प-सज्जा चोल कला की पराकाष्ठा को दर्शाते हैं।
राजेंद्र चोल ने इस राजधानी को योजनाबद्ध ढंग से बसाया था। यहाँ चौड़ी सड़कें, मजबूत किलेबंदी, विशाल महल, तालाब और जल-संरचना प्रणालियाँ थीं। चोलों की जल प्रबंधन क्षमता का श्रेष्ठ उदाहरण चोल गंगम (एक विशाल झील) है, जो इसी क्षेत्र में बनाई गई थी। यह झील सिंचाई और जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत थी और चोल इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता को दर्शाती है।
गंगैकोंड चोलपुरम का महत्व केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी था। यहाँ विद्वानों, कलाकारों और पुरोहितों को संरक्षण मिला, जिससे तमिल संस्कृति का विकास हुआ। समय के साथ यह नगर कमजोर पड़ा और बाद में अधिकांश संरचनाएँ नष्ट हो गईं, परंतु मंदिर आज भी चोल गौरव का प्रतीक बनकर खड़ा है।
समग्र रूप से, गंगैकोंड चोलपुरम चोल साम्राज्य की शक्ति, स्थापत्य कला, और सांस्कृतिक विरासत का भव्य प्रमाण है, जो आज भी इतिहास प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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