ALAKNANDA

 

अलकनंदा 

अलकनंदा उत्तर भारत की एक प्रमुख, पवित्र और हिमालयी नदी है, जो गंगा नदी की महत्वपूर्ण सहायक धारा के रूप में जानी जाती है। इसका उद्गम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सतोपंथ ग्लेशियर से माना जाता है, जो समुद्र तल से लगभग 3,900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। अलकनंदा का मार्ग अत्यंत सुंदर, दुर्गम और प्राकृतिक विविधताओं से भरपूर है। यह बद्रीनाथ धाम से होकर बहती है, जिसके कारण इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

अलकनंदा नदी कई महत्वपूर्ण स्थलों और संगमों से होकर गुजरती है। विष्णुप्रयाग में यह धौलीगंगा से, कर्णप्रयाग में पिंडर नदी से, रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी से और अंत में देवप्रयाग में भागीरथी से मिलती है। इन सभी संगमों को मिलाकर ‘पंच प्रयाग’ कहा जाता है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। देवप्रयाग में भागीरथी से मिलने के बाद अलकनंदा और भागीरथी की संयुक्त धारा को ‘गंगा’ नाम प्राप्त होता है।

अलकनंदा नदी का जल अत्यंत स्वच्छ, ठंडा और तेज प्रवाह वाला होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में यह नदी साहसिक खेलों के लिए उपयुक्त मानी जाती है, विशेषकर रिवर राफ्टिंग के लिए। इसके किनारे बसे कस्बे और गाँव कृषि, पेयजल और दैनिक जीवन के लिए नदी के जल पर निर्भर रहते हैं। इसके अलावा, अलकनंदा जलविद्युत परियोजनाओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण धारा है, जिनसे उत्तराखंड को ऊर्जा उत्पादन में सहायता मिलती है।

धार्मिक दृष्टि से अलकनंदा अत्यंत पवित्र मानी जाती है। बद्रीनाथ यात्रा इसी नदी के किनारे-किनारे होकर पूरी होती है, और तीर्थयात्री इसे मोक्षदायिनी धारा के रूप में सम्मान देते हैं।
कुल मिलाकर, अलकनंदा केवल एक नदी ही नहीं बल्कि हिमालय की जीवनदायिनी शक्ति, सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। इसका संरक्षण हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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