NAYAK KINGDOM

 

नायक साम्राज्य 

नायक साम्राज्य दक्षिण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण राजवंश था, जिसने 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच विशेष रूप से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों पर शासन किया। विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद नायक शासकों ने स्वतंत्र शासन स्थापित किया और क्षेत्र की राजनीतिक तथा सांस्कृतिक दिशा को प्रभावित किया। प्रमुख नायक राज्यों में मदुरै नायक, तंजावुर नायक और जिंजी (सेनजी) नायक शामिल थे।

नायक शासकों का उदय विजयनगर साम्राज्य द्वारा सैनिक और प्रशासनिक प्रमुखों के रूप में किया गया। 1565 के तालिकोटा युद्ध के बाद विजयनगर कमजोर हुआ और नायकों ने स्वतंत्र शासन प्रारंभ कर दिया। मदुरै के तिरुमलै नायक, तंजावुर के राघुनाथ नायक और सेनजी के शिवप्पा नायक को सर्वश्रेष्ठ नायक शासकों में गिना जाता है।

नायक शासन की सबसे बड़ी विशेषता उनकी वास्तुकला और कला के क्षेत्र में उपलब्धियाँ थीं। मदुरै का प्रसिद्ध मीनाक्षी अम्मन मंदिर नायक काल की उत्कृष्ट कला का सर्वोत्तम उदाहरण है। इसके विशाल गोपुरम, मंडप और मूर्तिकला नायक स्थापत्य शैली को विशिष्ट बनाते हैं। तंजावुर में नायक शासकों ने कला, संगीत और नृत्य को बढ़ावा दिया और कई मंदिरों तथा महलों का निर्माण कराया।

नायक शासक कृषि सुधारों और सिंचाई प्रणाली के विकास में भी अग्रणी थे। उन्होंने तालाब, नहरें और जल संरचनाएँ बनवाकर खेती को समृद्ध बनाया। प्रशासनिक रूप से नायकों ने गाँवों और स्थानीय संस्थाओं को मजबूत किया, जिससे ग्राम स्तर पर शासन व्यवस्था प्रभावी बनी।

सैन्य दृष्टि से नायक राज्य कई बार मराठों, बीजापुर, गोलकुंडा और यूरोपीय शक्तियों से संघर्ष में उलझे रहे। धीरे-धीरे आंतरिक संघर्ष और बाहरी आक्रमणों के चलते नायक साम्राज्यों का पतन हुआ।

इसके बावजूद नायक काल दक्षिण भारतीय कला, संस्कृति और मंदिर स्थापत्य का स्वर्णिम अध्याय माना जाता है। उनका प्रभाव आज भी मदुरै, तंजावुर और सेनजी की ऐतिहासिक धरोहरों में स्पष्ट दिखाई देता है।

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