ASSESSMENT YEAR FOR INCOME TAX

 

आयकर में असेसमेंट ईयर (Assessment Year) 

आयकर व्यवस्था में असेसमेंट ईयर (Assessment Year – AY) एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह वह वर्ष होता है जिसमें करदाता पिछले वित्तीय वर्ष में अर्जित की गई आय का मूल्यांकन करता है और उसी के आधार पर आयकर रिटर्न दाखिल करता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी की आय वित्तीय वर्ष 2024–25 में अर्जित हुई है, तो उसका असेसमेंट ईयर 2025–26 होगा।

असेसमेंट ईयर का उद्देश्य टैक्स संग्रह को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है। इस वर्ष में करदाता अपनी कुल आय, छूट, कटौतियाँ और टैक्स देयता की गणना कर आयकर विभाग को रिटर्न प्रस्तुत करता है। इसी अवधि में आयकर विभाग रिटर्न का मूल्यांकन, वैरिफिकेशन, प्रोसेसिंग और आवश्यक होने पर जांच करता है।

असेसमेंट ईयर और वित्तीय वर्ष को अक्सर लोग समान समझ लेते हैं, लेकिन दोनों में स्पष्ट अंतर है। वित्तीय वर्ष वह वर्ष है जिसमें करदाता आय कमाता है, जबकि असेसमेंट ईयर वह वर्ष है जिसमें उस आय का आकलन और कर का भुगतान पूरा किया जाता है। इस विभाजन से कर प्रणाली को व्यवस्थित तरीके से संचालित करना आसान हो जाता है।

असेसमेंट ईयर के दौरान करदाता ITR फॉर्म भरता है और अपनी आय के सभी स्रोत—वेतन, व्यवसाय, संपत्ति, पूंजीगत लाभ तथा अन्य स्रोतों—का विवरण देता है। इसी अवधि में छूट और कटौती जैसे 80C, 80D आदि का लाभ भी लिया जाता है। यदि करदाता ने अधिक टैक्स दिया है, तो रिफंड भी इसी वर्ष में प्राप्त होता है।

आयकर विभाग विभिन्न श्रेणियों के करदाताओं के लिए अलग-अलग फॉर्म और समय-सीमा निर्धारित करता है, जो हमेशा असेसमेंट ईयर में लागू होती हैं। इस प्रकार, असेसमेंट ईयर आयकर प्रशासन का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो कर प्रक्रिया को व्यवस्थित, पारदर्शी और सुचारु बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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