NCLT

 

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT]

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक अर्द्ध-न्यायिक संस्था है, जो कंपनी मामलों, दिवाला समाधान और कॉर्पोरेट विवादों के निपटारे के लिए कार्य करती है। इसे कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत गठित किया गया था, और यह 1 जून 2016 से कार्यरत है। NCLT की स्थापना का मुख्य उद्देश्य कॉर्पोरेट जगत से जुड़े मामलों का तेज, कुशल और विशेषज्ञ समाधान प्रदान करना है, जिससे न्याय प्रक्रिया सरल और समयबद्ध हो सके।

NCLT में कंपनी कानून, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (IBC, 2016), शेयरधारकों के अधिकार, कंपनी पंजीकरण में गड़बड़ियाँ, विलय एवं अधिग्रहण से जुड़े विवाद, कंपनी के खातों और प्रबंधन से संबंधित मुद्दों का निपटारा किया जाता है। NCLT कंपनियों के खिलाफ दायर दिवाला मामलों, ऋण पुनर्गठन, तथा कॉर्पोरेट देनदारियों के समाधान की प्रक्रिया को भी देखता है।

NCLT देशभर में कई पीठों (Benches) के माध्यम से कार्य करता है, जिनका संचालन अध्यक्ष (President) और न्यायिक व तकनीकी सदस्य मिलकर करते हैं। यह संस्था कंपनियों, लेनदारों, निवेशकों, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों को एक पारदर्शी एवं विशेषज्ञ मंच उपलब्ध कराती है, जहाँ वे अपने विवादों का समाधान करा सकें।

दिवाला संहिता लागू होने के बाद NCLT की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि अब बड़े कॉर्पोरेट दिवाला मामलों का अंतिम निर्णय यही संस्था करती है। NCLT द्वारा लिए गए निर्णय सीधे NCLAT (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल) में अपील योग्य होते हैं और आगे आवश्यकता पड़ने पर सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाए जा सकते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाने, कंपनियों के संचालन में पारदर्शिता लाने और कॉर्पोरेट गवर्नेंस मजबूत करने में NCLT का योगदान अहम है। यह संस्था आर्थिक गतिविधियों में विश्वास पैदा करती है और तेज न्याय व्यवस्था के माध्यम से व्यावसायिक माहौल को स्थिर तथा निवेशक-अनुकूल बनाने में मदद करती है।

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