DOLLAR INDEX
डॉलर इंडेक्स (Dollar Index – DXY)
डॉलर इंडेक्स, जिसे US Dollar Index (DXY) भी कहा जाता है, अमेरिकी डॉलर की मजबूती को दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मापने वाला एक महत्वपूर्ण संकेतक है। इसे 1973 में पहली बार प्रस्तुत किया गया था। यह इंडेक्स यह दर्शाता है कि अमेरिकी डॉलर विश्व मुद्रा बाजार में कितना मजबूत या कमजोर है। डॉलर इंडेक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार, वित्तीय बाजारों और निवेशकों के निर्णयों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
डॉलर इंडेक्स को छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले मापा जाता है—यूरो (EUR), जापानी येन (JPY), ब्रिटिश पाउंड (GBP), कनाडाई डॉलर (CAD), स्वीडिश क्रोना (SEK) और स्विस फ्रैंक (CHF)। इन मुद्राओं में से यूरो का भार सबसे अधिक है, जो लगभग 57% तक माना जाता है। जब डॉलर की कीमत इन मुद्राओं के मुकाबले बढ़ती है, तो डॉलर इंडेक्स भी बढ़ता है, और जब डॉलर कमजोर होता है तो इंडेक्स गिर जाता है।
डॉलर इंडेक्स का उपयोग वैश्विक आर्थिक स्वास्थ्य को समझने के लिए भी किया जाता है। मजबूत डॉलर का मतलब होता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है या निवेशक डॉलर को सुरक्षित मान रहे हैं। दूसरी ओर, कमजोर डॉलर यह संकेत दे सकता है कि आर्थिक अनिश्चितता बढ़ रही है या निवेशक अन्य परिसंपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं।
डॉलर इंडेक्स का प्रभाव भारत जैसे देशों पर भी पड़ता है। जब डॉलर इंडेक्स बढ़ता है, तो आमतौर पर उभरते बाजारों की मुद्राएँ कमजोर होती हैं और आयात महंगा हो जाता है—विशेषकर कच्चा तेल। इससे महंगाई बढ़ने की संभावना रहती है। वहीं, इंडेक्स गिरने पर स्थानीय मुद्रा मजबूत हो सकती है और व्यापार संतुलन में सुधार हो सकता है।
समग्र रूप से, डॉलर इंडेक्स वैश्विक वित्तीय प्रणाली का एक प्रमुख संकेतक है, जो मुद्रा बाजार की दिशा, आर्थिक स्थिरता और निवेशकों की धारणा को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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