JEEVIKA DIDI

 

जीविका दीदी बिहार के ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण की एक प्रेरणादायक पहचान है। यह पद या संबोधन बिहार सरकार और विश्व बैंक द्वारा समर्थित बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना (BRLP), जिसे सामान्यतः “जीविका” कहा जाता है, के अंतर्गत आता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है ग्रामीण महिलाओं को स्व-सहायता समूहों (Self Help Groups – SHG) से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।

जीविका दीदी एक ऐसी महिला होती हैं जो अपने गांव में स्व-सहायता समूह का नेतृत्व करती हैं या उसमें सक्रिय सदस्य होती हैं। वह अन्य महिलाओं को संगठित कर बचत, ऋण और आय-वर्धन गतिविधियों के लिए प्रेरित करती हैं। जीविका दीदी महिलाओं को दूध उत्पादन, सब्जी खेती, सिलाई-कढ़ाई, बकरी पालन, पापड़-बड़ी बनाना, या छोटे व्यापार जैसे कार्यों में प्रशिक्षित करती हैं।

उनकी जिम्मेदारियों में शामिल है – समूह की मासिक बैठक आयोजित करना, बचत और ऋण का हिसाब रखना, बैंक से संपर्क करना, और सरकारी योजनाओं की जानकारी गांव की महिलाओं तक पहुंचाना। जीविका दीदी अक्सर गांव में बदलाव की मिसाल बनती हैं, क्योंकि वह न केवल आर्थिक विकास में योगदान देती हैं, बल्कि महिलाओं के आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति को भी ऊंचा उठाती हैं।

बिहार के कई जिलों में जीविका परियोजना ने हजारों महिलाओं की जिंदगी बदल दी है। अब महिलाएं न केवल परिवार की आय में योगदान दे रही हैं, बल्कि अपने बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और घर की आवश्यकताओं में भी सक्रिय निर्णय ले रही हैं।

संक्षेप में, जीविका दीदी गांव की महिलाओं के लिए मार्गदर्शक, प्रेरक और सशक्तिकरण की प्रतीक होती हैं। उनके प्रयासों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार, गरीबी में कमी और सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलता है।

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