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पीसीसीएफ (मुख्य प्रधान मुख्य वन संरक्षक)

पीसीसीएफ का पूरा नाम Principal Chief Conservator of Forests है, जिसे हिंदी में मुख्य प्रधान मुख्य वन संरक्षक कहा जाता है। यह भारतीय वन सेवा (IFS) का सबसे उच्च पद होता है, जो किसी राज्य के वन विभाग का प्रशासनिक और तकनीकी मुखिया होता है। पीसीसीएफ का कार्य राज्य के सभी वनों, वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों और जैव विविधता के प्रबंधन की देखरेख करना होता है।

पीसीसीएफ का चयन भारतीय वन सेवा के वरिष्ठतम अधिकारियों में से किया जाता है। यह पद आमतौर पर 30 से अधिक वर्षों के अनुभव और उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड वाले अधिकारी को दिया जाता है। इनका मुख्यालय राज्य के वन विभाग के निदेशालय में होता है और इनके अधीन अनेक अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक, उप वन संरक्षक तथा वन रेंजर कार्यरत रहते हैं।

पीसीसीएफ की जिम्मेदारियों में वन संरक्षण कानूनों का पालन कराना, वनों की कटाई को रोकना, वृक्षारोपण अभियान चलाना, वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नीतियों को लागू करना शामिल है। साथ ही, ये अधिकारी राज्य सरकार को वन नीति, परियोजनाओं और योजनाओं के बारे में सलाह देते हैं।

वन्यजीव अपराधों की रोकथाम, अवैध शिकार और तस्करी पर नियंत्रण, पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों में भी पीसीसीएफ की अहम भूमिका होती है।

संक्षेप में, पीसीसीएफ न केवल राज्य के वनों के संरक्षक होते हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में ही राज्य का वन विभाग अपने संरक्षण और विकास के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर पाता है।

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