RAHI MASOOM RAZA
राही मासूम रज़ा
राही मासूम रज़ा हिन्दी और उर्दू साहित्य के एक प्रतिष्ठित लेखक, कवि, उपन्यासकार और पटकथा लेखक थे। उनका जन्म 1 सितम्बर 1927 को गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश के एक शिक्षित मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में डॉक्टरेट (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की और यहीं से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हुए।
राही मासूम रज़ा ने अपने लेखन में सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विषयों को गहराई से छुआ। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता, सांप्रदायिकता और आम जनता की पीड़ा को बहुत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास "आधा गाँव" है, जिसमें भारत विभाजन के समय की त्रासदी और ग्रामीण जीवन की सच्चाई को सजीवता से चित्रित किया गया है। यह उपन्यास हिन्दी साहित्य की कालजयी कृतियों में गिना जाता है।
राही साहब ने फिल्मों और टेलीविजन के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने कई फिल्मों के संवाद और पटकथाएं लिखीं, जिनमें मिली, नूरी, लम्हे, जुल्मी, तमस जैसी चर्चित फिल्में शामिल हैं। लेकिन उन्हें सबसे अधिक प्रसिद्धि टीवी धारावाहिक "महाभारत" (बी.आर. चोपड़ा द्वारा निर्मित) के संवाद लेखक के रूप में मिली। उन्होंने महाभारत के श्लोकों और चरित्रों को आम जनता की भाषा में इस तरह प्रस्तुत किया कि वह आज भी दर्शकों के हृदय में बसे हुए हैं।
राही मासूम रज़ा का लेखन कठोर यथार्थवाद, संवेदनशीलता और धार्मिक समन्वय की मिसाल है। उनका निधन 15 मार्च 1992 को हुआ, लेकिन वे आज भी अपने कार्यों के माध्यम से जीवित हैं। वे साहित्य और सिनेमा दोनों में समान रूप से प्रभावशाली योगदान देने वाले दुर्लभ रचनाकारों में से एक थे।
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