PRABHASH JOSHI

 

प्रभाष जोशी 

प्रभाष जोशी हिन्दी पत्रकारिता के एक सम्मानित, निर्भीक और आदर्शवादी स्तंभकार, लेखक और संपादक थे। उनका जन्म 15 जुलाई 1937 को उज्जैन, मध्य प्रदेश में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन और इंदौर में प्राप्त की और दर्शनशास्त्र में स्नातक किया।

प्रभाष जोशी का लेखन और पत्रकारिता का सफर देश के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विमर्श को नई दिशा देने वाला रहा। वे गांधीवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक थे और सत्य, नैतिकता तथा लोकतंत्र के मूल्यों पर अडिग रहते थे।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘नई दुनिया’ से की और बाद में गांधी मार्ग, जनसत्ता, हिंदुस्तान टाइम्स, और इंडियन एक्सप्रेस जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों में काम किया। 1983 में वे 'जनसत्ता' के संस्थापक संपादक बने, जिसने हिन्दी पत्रकारिता में एक नई दृष्टि और भाषा दी। प्रभाष जोशी का लेखन सरल, प्रभावशाली और जनसंवेदनाओं से जुड़ा होता था। उनके स्तंभ 'कागद कारे' ने उन्हें अपार लोकप्रियता दिलाई।

वे खेल विशेषकर क्रिकेट के भी बहुत बड़े प्रेमी थे और खेल पर उनकी विश्लेषणात्मक लेखनी खूब सराही जाती थी। वे धर्म, राजनीति, समाज और खेल को समान भाव से समझते और लिखते थे।

प्रभाष जोशी ने भारतीय लोकतंत्र, मीडिया की स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय के लिए पूरी निष्ठा से काम किया। वे कभी सत्ता के आगे नहीं झुके और पत्रकारिता में नैतिक मूल्यों की मिसाल बने रहे।

उनका निधन 5 नवम्बर 2009 को हुआ, लेकिन उनके विचार, लेखनी और आदर्श आज भी नई पीढ़ी के पत्रकारों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। वे हिन्दी पत्रकारिता के "धरोहर पुरुष" के रूप में याद किए जाते हैं।

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