SELF HELP GROUP
स्वयं सहायता समूह (Self Help Group – SHG) ग्रामीण और शहरी गरीबों, विशेषकर महिलाओं, के आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण का एक सशक्त माध्यम है। यह 10 से 20 सदस्यों का एक छोटा समूह होता है, जिसमें सदस्य आपसी विश्वास, सहयोग और सामूहिक जिम्मेदारी के आधार पर जुड़ते हैं।
स्वयं सहायता समूह का मुख्य उद्देश्य है गरीब लोगों को बचत और ऋण की आदत विकसित करना, ताकि वे अपनी छोटी-बड़ी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकें और साहूकारों पर निर्भर न रहें। प्रत्येक सदस्य नियमित रूप से थोड़ी-थोड़ी राशि बचत करता है, जिसे समूह के कोष में जमा किया जाता है। इस कोष से सदस्य आपातकालीन जरूरत, व्यवसाय शुरू करने या शिक्षा-स्वास्थ्य के लिए कम ब्याज पर ऋण ले सकते हैं।
SHG सिर्फ आर्थिक सहयोग का माध्यम ही नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी आधार है। समूह की बैठकों में सदस्य सरकारी योजनाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, महिला अधिकार और स्वावलंबन से जुड़ी जानकारियां साझा करते हैं। इससे महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपने घर-परिवार के साथ-साथ गांव-समाज के विकास में भी योगदान देती हैं।
भारत सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और विभिन्न राज्य सरकारों ने इस अवधारणा को व्यापक रूप से अपनाया है। विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का भी इसमें सहयोग रहा है।
स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं दूध उत्पादन, हस्तशिल्प, कपड़ा निर्माण, सब्जी खेती, पापड़-बड़ी बनाना, बकरी पालन, सिलाई-कढ़ाई आदि कार्यों में लगकर अतिरिक्त आय अर्जित करती हैं।
संक्षेप में, स्वयं सहायता समूह गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को संगठित कर आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक सम्मान और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का प्रभावी साधन है। यह न केवल गरीबी उन्मूलन में मदद करता है, बल्कि समाज में सहयोग और भाईचारे की भावना को भी मजबूत करता है।
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