BHIKHARI THAKUR

 **भिखारी ठाकुर:**

**जन्म:**

भिखारी ठाकुर, जनवरी 18, 1887, बिहार के सारण जिले में जन्मे थे, भारत, एक प्रमुख लोक कलाकार और नाटककार थे।

**शिक्षा:**

भिखारी ठाकुर की औपचारिक शिक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं है। यह जाना गया है कि उन्होंने बुनियादी शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन वह बड़े हिस्से में अपने आप सिखे हुए कलाकार थे।

**परिवार:**

भिखारी ठाकुर ने बिहार में एक कम आय वाले परिवार में जन्म लिया था। उनके ग्रामीण परिसर में बड़े होने के अनुभव ने उनके बाद के कामों को गहराई से प्रभावित किया, जो अक्सर ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों और आनंदों को चित्रित करता था।


**साहित्यिक कार्य और भोजपुरी में योगदान:**

1. **लोक नाट्य (बिदेसिया):** भिखारी ठाकुर भोजपुरी लोक नाट्य में अपने योगदान के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं, विशेषकर "बिदेसिया" शैली के सृष्टि के माध्यम से। बिदेसिया प्रदर्शन सामाजिक मुद्दों को छूने और प्रवासियों की भावनाओं को चित्रित करने का एक प्रकार का लोक ओपेरा था।


2. **सामाजिक विषय:** उनके नाटक और प्रदर्शनों में ग्रामीण जनसंख्या द्वारा की जाने वाली सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों की गहरी समझ होती थी। इनमें प्रवास, शोषण और सामाजिक नीतियों जैसी मुद्दें सामिल थीं।

3. **भोजपुरी थिएटर का प्रसार:** भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी थिएटर को प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की मुख्य पंक्ति में लाने में मदद की। उनका कार्य भोजपुरी को समृद्ध शैली वाली भाषा के रूप में मान्यता प्रदान करने में साथी रहा।

4. **विरासत:** उनके जाने के दशकों बाद भी, भिखारी ठाकुर की विरासत बनी रही है। उनके नाटक और गाने आज भी प्रस्तुत किए जाते हैं, जो भोजपुरी बोलने वाले क्षेत्रों की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने और प्रचारित करने में मदद करते हैं।

भिखारी ठाकुर के कलात्मक योगदान, विशेषकर बिदेसिया और भोजपुरी थिएटर के क्षेत्र में, ने सांस्कृतिक परिदृश्य पर एक अविस्मरणीय प्रभाव डाला है, जो उन लोगों की जीवन, संघर्ष और उनकी आकांक्षाओं को प्रतिष्ठानित करता है जिन्हें वह प्रतिष्ठानित करने का प्रयास कर रहे थे।

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