AK 203
एके-203 (AK-203)
AK-203 एक आधुनिक असॉल्ट राइफल है, जो रूस की प्रसिद्ध कलाश्निकोव कंपनी द्वारा विकसित की गई है। यह राइफल AK-47 और AK-103 की अगली पीढ़ी मानी जाती है, जिसमें आधुनिक तकनीक और डिजाइन का समावेश किया गया है। भारत में इस राइफल का निर्माण भारत-रूस संयुक्त उद्यम "इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL)" द्वारा उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में स्थित कोरवा ऑर्डनेंस फैक्ट्री में किया जा रहा है।
AK-203 राइफल 7.62×39 मिमी की पारंपरिक गोली का उपयोग करती है, जो इसे अत्यधिक मारक और विश्वसनीय बनाती है। इसकी मारक दूरी लगभग 300 से 500 मीटर तक होती है, जो इसे मध्यम दूरी की लड़ाई में अत्यंत प्रभावी बनाती है। यह राइफल पूरी तरह से स्वचालित (automatic) और अर्ध-स्वचालित (semi-automatic) मोड में चलाई जा सकती है।
AK-203 राइफल का वजन लगभग 3.8 किलोग्राम होता है और इसमें 30 राउंड की मैगज़ीन होती है। इसका डिजाइन ऐसा है कि यह अत्यधिक गर्मी, धूल, बारिश और बर्फ जैसे कठोर वातावरण में भी बिना जाम हुए काम कर सकती है। यही कारण है कि इसे भारतीय सेना के जवानों के लिए एक उपयुक्त हथियार माना गया है, खासकर सीमा क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए।
भारत सरकार ने AK-203 को INSAS राइफल के स्थान पर भारतीय सेना में शामिल करने का निर्णय लिया है। INSAS (Indian Small Arms System) राइफलें अब पुरानी हो चुकी हैं और युद्ध की आधुनिक आवश्यकताओं को पूरी तरह नहीं निभा पा रही थीं। ऐसे में AK-203 राइफल न केवल आधुनिक तकनीक से लैस है, बल्कि यह भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल भी है।
AK-203 का भारत में निर्माण "मेक इन इंडिया" अभियान का एक प्रमुख हिस्सा है। इससे न केवल भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि विदेशी निर्भरता भी कम होगी। यह परियोजना भारत-रूस रक्षा सहयोग का भी प्रतीक है।
निष्कर्ष:
AK-203 राइफल एक मजबूत, भरोसेमंद और आधुनिक हथियार है, जो भारतीय सेना की ताकत में महत्वपूर्ण इजाफा करेगी। इसका भारत में निर्माण न केवल सैनिकों को बेहतर हथियार देगा, बल्कि देश की रक्षा आत्मनिर्भरता को भी सशक्त बनाएगा।
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