ICBM--INTER CONTINENTAL BALLISTIC MISSILE
अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM)
अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM): वैश्विक सुरक्षा में निर्णायक हथियार
अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) एक ऐसी मिसाइल होती है जो 5,500 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम होती है। यह मिसाइल परमाणु, जैविक या रासायनिक हथियारों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक ले जाने की क्षमता रखती है। यह किसी भी देश की सामरिक रक्षा नीति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, विशेषकर उन देशों के लिए जो अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना चाहते हैं।
ICBM का विकास और इतिहास:
ICBM का विकास शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हथियारों की होड़ के समय शुरू हुआ। सबसे पहली ICBM सोवियत संघ द्वारा 1957 में सफलतापूर्वक परीक्षण की गई थी, जिसे "R-7 Semyorka" कहा गया। इसके बाद अमेरिका ने भी अपनी ICBM प्रणाली का विकास किया। आज, अमेरिका, रूस, चीन, भारत, फ्रांस, ब्रिटेन और उत्तर कोरिया जैसे देशों के पास ICBM क्षमताएं हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
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लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता: ICBM की रेंज 5,500 किमी से लेकर 15,000 किमी तक हो सकती है, जिससे यह अंतरमहाद्वीपीय लक्ष्यों को भेद सकती है।
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परमाणु वारहेड ले जाने की क्षमता: यह मिसाइलें आमतौर पर परमाणु हथियारों से लैस होती हैं, हालांकि इन्हें पारंपरिक विस्फोटकों से भी युक्त किया जा सकता है।
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MIRV तकनीक: कई आधुनिक ICBM में MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) तकनीक होती है, जिससे एक ही मिसाइल से कई स्वतंत्र लक्ष्यों पर एकसाथ हमला किया जा सकता है।
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तीन चरणों में उड़ान: ICBM का प्रक्षेपण तीन चरणों में होता है—बूस्ट फेज, मिडकोर्स फेज और रीएंट्री फेज।
भारत और ICBM:
भारत की अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल क्षमता का प्रतिनिधित्व अग्नि-V मिसाइल करती है। इसकी मारक क्षमता लगभग 5,000 से 8,000 किलोमीटर तक है और यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। अग्नि-VI, जो विकास के चरण में है, भारत की अगली पीढ़ी की ICBM होगी जिसकी रेंज 10,000 किलोमीटर तक हो सकती है। यह भारत को वैश्विक स्तर पर एक रणनीतिक शक्ति बनाने में सहायक होगी।
रणनीतिक महत्व:
ICBM किसी भी देश की "न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता" (Minimum Credible Deterrence) का आधार होती है। इसकी मौजूदगी शत्रु को हमला करने से पहले कई बार सोचने पर मजबूर करती है। ICBM के कारण कोई भी देश यह सुनिश्चित कर सकता है कि वह पहले हमले के बाद भी पलटवार कर सकता है — इसे "सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी" कहा जाता है।
निष्कर्ष:
ICBM आधुनिक सैन्य विज्ञान की एक अत्यंत शक्तिशाली और जटिल तकनीक है। यह विश्व शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए ICBM का स्वदेशी निर्माण न केवल आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी भी है। आने वाले समय में ICBM तकनीक शांति, रणनीतिक संतुलन और वैश्विक कूटनीति के केंद्र में बनी रहेगी।
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