DOGRA REGIMENT
डोगरा रेजीमेंट – साहस और शौर्य की प्रतीक
डोगरा रेजीमेंट भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित और वीरता से भरपूर पैदल सेना रेजीमेंट है। इसकी स्थापना 1877 में ब्रिटिश भारतीय सेना के अंतर्गत हुई थी। यह रेजीमेंट भारत के हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, और पंजाब क्षेत्रों के डोगरा समुदाय के साहसी और जुझारू सैनिकों से बनी है।
डोगरा रेजीमेंट का आदर्श वाक्य है:
"कर्तव्य, सम्मान, साहस",
जो इस रेजीमेंट के मूल्यों और उसकी परंपरा को दर्शाता है।
डोगरा रेजीमेंट की पहचान बहादुरी, अनुशासन और मजबूत मनोबल से होती है। यह रेजीमेंट भारतीय सेना की उन यूनिट्स में शामिल है, जिन्होंने स्वतंत्रता से पहले और बाद में अनेक युद्धों में भाग लिया और वीरता का प्रदर्शन किया। इसके सैनिकों ने निम्नलिखित युद्धों में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है:
- 1947-48 का भारत-पाक युद्ध (जम्मू और कश्मीर की रक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान)
- 1962 का भारत-चीन युद्ध
- 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध
- 1999 का कारगिल युद्ध
डोगरा रेजीमेंट को अनेक वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें शामिल हैं:
- 1 परम वीर चक्र
- 2 महावीर चक्र
- 6 वीर चक्र
- कई सेना मेडल, शौर्य चक्र और यूनिट प्रशस्तियाँ
इस रेजीमेंट के सैनिक न केवल शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यंत दृढ़ होते हैं। डोगरा संस्कृति में वीरता, आत्मसम्मान और राष्ट्रभक्ति गहराई से रची-बसी है, जो इस रेजीमेंट में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
डोगरा रेजीमेंट का रेजिमेंटल सेंटर फैज़ाबाद (अब अयोध्या), उत्तर प्रदेश में स्थित है। यहाँ पर नए सैनिकों को अत्याधुनिक सैन्य प्रशिक्षण, युद्ध कौशल, हथियार संचालन और नेतृत्व की शिक्षा दी जाती है।
डोगरा रेजीमेंट केवल एक सैन्य इकाई नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और वीरता की प्रतीक है। इस रेजीमेंट ने हमेशा देश की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है और अपनी वीर परंपराओं के माध्यम से अगली पीढ़ियों को प्रेरित करती रही है।
डोगरा रेजीमेंट भारतीय सेना की शान है, और इसका नाम हमेशा साहस, समर्पण और सम्मान के साथ लिया जाएगा।
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