AK 56

 

AK-56 

AK-56 एक प्रसिद्ध असॉल्ट राइफल है, जो मूलतः सोवियत संघ की AK-47 राइफल की चीनी प्रतिकृति है। इसका निर्माण चीन की हथियार निर्माता कंपनी Norinco (North Industries Corporation) द्वारा किया गया था। इसका नाम "AK-56" वर्ष 1956 में शुरू हुए इसके उत्पादन के कारण पड़ा। हालांकि यह तकनीकी रूप से AK-47 जैसा ही है, लेकिन इसकी पहचान और उपयोग का दायरा अलग है।

AK-56 में भी वही 7.62×39 मिमी की गोलियाँ उपयोग होती हैं, जो AK-47 में होती हैं। इसकी फायरिंग रेंज करीब 300 से 400 मीटर तक होती है और यह स्वचालित (Automatic) तथा अर्ध-स्वचालित (Semi-automatic) दोनों मोड में काम करती है। एक बार में यह 30 राउंड की मैगजीन फायर कर सकती है और इसकी फायरिंग स्पीड लगभग 600 राउंड प्रति मिनट है।

AK-56 की बनावट और काम करने की प्रणाली लगभग AK-47 के समान होती है, लेकिन इसमें कुछ बाहरी अंतर होते हैं, जैसे बैरल के पास की गैस रिलीफ ट्यूब का डिजाइन, फ्रंट साइट का आकार, और मैगजीन की शैली। इसके अलावा, AK-56 में कई बार फोल्डिंग स्टॉक (मुड़ने वाला कुंदा) देखने को मिलता है, जिससे इसे आसानी से ले जाया जा सकता है।

इस राइफल का उपयोग कई देशों और संगठनों द्वारा किया गया है, विशेषकर उन देशों द्वारा जो चीन के साथ रक्षा सहयोग रखते थे। भारत में यह राइफल अधिकतर उग्रवादी संगठनों, आतंकवादियों और विद्रोही गुटों के पास पाई गई है। खासकर पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में यह हथियार सुरक्षा बलों द्वारा बरामद किया गया है।

हालाँकि भारतीय सेना और अर्धसैनिक बल आधिकारिक रूप से AK-56 का इस्तेमाल नहीं करते, लेकिन जब इसे दुश्मनों से बरामद किया जाता है, तब इसकी उपस्थिति महसूस की जाती है। यह राइफल गैर-कानूनी हथियारों के बाजार में लोकप्रिय है क्योंकि इसे चलाना आसान है, सस्ता है और विभिन्न जलवायु में बिना ज्यादा मेंटेनेंस के भी काम करता है।

निष्कर्ष:
AK-56 एक सस्ती, सरल और टिकाऊ राइफल है, जो AK-47 का चीनी संस्करण है। इसका व्यापक उपयोग और आसानी से उपलब्ध होना इसे आतंकवादी संगठनों और गैर-कानूनी समूहों के लिए पसंदीदा बनाता है। हालांकि यह आधुनिक मानकों के अनुसार पुराना हो चुका है, फिर भी यह कई संघर्षों और विद्रोहों में आज भी इस्तेमाल हो रहा है।

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