PINK REVOLUTION
गुलाबी क्रांति (Pink Revolution)
भारत में जनसंख्या वृद्धि और बदलती उपभोग आदतों के साथ-साथ कृषि एवं पशुपालन के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता महसूस की गई। इस उद्देश्य से देश में समय-समय पर कई क्रांतियाँ आईं — जैसे हरित क्रांति (अनाज उत्पादन), श्वेत क्रांति (दूध उत्पादन), और पीली क्रांति (तिलहन उत्पादन)। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण क्रांति है गुलाबी क्रांति (Pink Revolution)।
गुलाबी क्रांति का संबंध मुख्यतः मांस उत्पादन, विशेषकर पोल्ट्री (मुर्गी पालन), मटन, और सूअर पालन से है। इसके साथ ही कुछ संदर्भों में इसे प्याज और अन्नदाता के उत्पादों से भी जोड़ा जाता है, लेकिन भारत में इसका प्रमुख अर्थ मांस और पोल्ट्री उद्योग में विकास से ही लिया जाता है।
यह क्रांति 1990 के दशक में शुरू हुई जब भारत सरकार ने मांस उत्पादन, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई। इसका उद्देश्य भारत को मांस उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांस निर्यात के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बनाना था।
गुलाबी क्रांति के प्रमुख उद्देश्य:
- मांस और पोल्ट्री उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि
- निर्यात को प्रोत्साहन देना और विदेशी मुद्रा अर्जित करना
- पशुपालकों और किसानों की आय में वृद्धि
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित करना
- पशुपालन एवं पोल्ट्री क्षेत्र को संगठित और तकनीकी रूप देना
उपलब्धियाँ:
गुलाबी क्रांति के परिणामस्वरूप भारत पोल्ट्री और मांस उत्पादन में तेज़ी से उभरा। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिला, बल्कि महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी। आधुनिक पशु चिकित्सा, फीड टेक्नोलॉजी और कोल्ड चेन सुविधाओं की मदद से इस क्षेत्र में गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार हुआ।
निष्कर्ष:
गुलाबी क्रांति भारत की खाद्य प्रसंस्करण और पशुपालन नीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है। इसने कृषि से जुड़े क्षेत्रों में विविधता लाई, जिससे न केवल देश की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई, बल्कि कुपोषण जैसी समस्याओं को दूर करने में भी मदद मिली। आज आवश्यकता है कि इस क्रांति को सतत विकास, पशु कल्याण और पर्यावरण संतुलन के साथ आगे बढ़ाया जाए।
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