BLUE REVOLUTION
नीली क्रांति (Blue Revolution) पर निबंध
भारत में जनसंख्या वृद्धि के साथ खाद्य सुरक्षा और पोषण की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में अनेक क्रांतियाँ लाई गईं, जैसे हरित क्रांति (अनाज उत्पादन के लिए), श्वेत क्रांति (दुग्ध उत्पादन के लिए), और इन्हीं में एक महत्वपूर्ण क्रांति है नीली क्रांति (Blue Revolution), जिसका उद्देश्य मछली उत्पादन और जलीय संसाधनों के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देना था।
नीली क्रांति का संबंध मत्स्य पालन, समुद्री उत्पादों और जलीय कृषि (Aquaculture) से है। यह क्रांति भारत में 1970 और 1980 के दशक में शुरू हुई थी। इस क्रांति का प्रमुख उद्देश्य भारत को मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और मत्स्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना था।
नीली क्रांति के जनक
भारत में नीली क्रांति के जनक के रूप में डॉ. आर. के. शर्मा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वहीं वैश्विक स्तर पर डॉ. अरुण कृष्णन को इसका अग्रदूत माना जाता है। भारत सरकार और भारतीय मत्स्य अनुसंधान संस्थानों ने मिलकर इस क्रांति को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नीली क्रांति के मुख्य उद्देश्य
- देश में मत्स्य उत्पादन को बढ़ाना
- समुद्री और मीठे जल स्रोतों का बेहतर उपयोग करना
- मछुआरों की आय और जीवनस्तर में सुधार लाना
- रोजगार के नए अवसर पैदा करना
- मछली निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा अर्जित करना
नीली क्रांति के अंतर्गत लिए गए प्रमुख कदम
- कृत्रिम तालाबों और मत्स्य पालन केंद्रों की स्थापना
- उन्नत प्रजनन तकनीकों का विकास
- मत्स्य पालन में प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता
- मछुआरों के लिए ऋण सहायता और सब्सिडी
- जलवायु और जल गुणवत्ता नियंत्रण पर अनुसंधान
- मत्स्य परिवहन और भंडारण के लिए आधारभूत संरचना का विकास
उपलब्धियाँ
नीली क्रांति के परिणामस्वरूप भारत आज विश्व के शीर्ष मत्स्य उत्पादक देशों में से एक बन चुका है। आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात और केरल जैसे राज्यों ने मत्स्य उत्पादन में उल्लेखनीय योगदान दिया है। यह क्रांति ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों में रोजगार सृजन, महिलाओं की भागीदारी और स्वस्थ आहार की उपलब्धता में भी सहायक रही है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
वर्तमान में भारत सरकार "प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY)" जैसी योजनाओं के माध्यम से नीली क्रांति को और आगे बढ़ा रही है। इसका उद्देश्य सतत और समावेशी विकास के माध्यम से देश को 2024 तक मत्स्य क्षेत्र में 20 मिलियन टन उत्पादन के लक्ष्य तक पहुँचाना है।
निष्कर्ष
नीली क्रांति भारत की एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित क्रांति है जिसने मत्स्य पालन को व्यवसायिक रूप दिया। इससे न केवल देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिली, बल्कि लाखों लोगों को आजीविका का साधन भी प्राप्त हुआ। आने वाले समय में नीली क्रांति को आधुनिक तकनीक और सतत विकास के सिद्धांतों के साथ और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
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