DRDO
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, जिसे संक्षेप में DRDO कहा जाता है, भारत सरकार का एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन है, जो रक्षा प्रणालियों और तकनीकों के स्वदेशी विकास में संलग्न है। इसकी स्थापना 1958 में भारत के रक्षा मंत्रालय के अधीन हुई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। DRDO का मुख्य उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियार प्रणाली, उपकरण और तकनीकी सहायता प्रदान करना है, जिससे भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके।
DRDO की शुरुआत केवल 10 प्रयोगशालाओं के साथ हुई थी, लेकिन वर्तमान में इसके पास पूरे देश में फैली हुई 50 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं। इन प्रयोगशालाओं में एरोनॉटिक्स, मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, नौसेना प्रणाली, जीवन विज्ञान, कंप्यूटर साइंस, सामग्री विज्ञान और अन्य उच्च तकनीकी क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य किए जाते हैं।
DRDO द्वारा विकसित कुछ प्रमुख प्रणालियों में अग्नि और पृथ्वी मिसाइल श्रृंखला, तेजस लड़ाकू विमान, पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, आकाश मिसाइल, नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, अरिहंत पनडुब्बी, और रक्षा बलों के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट व सैटेलाइट सिस्टम शामिल हैं। ये सभी परियोजनाएं भारत की रणनीतिक और सामरिक क्षमता को मजबूत करती हैं।
DRDO न केवल हथियार प्रणालियों के विकास में लगा है, बल्कि यह रक्षा में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर, सेंसर, रडार, संचार प्रणाली, जीवन रक्षक उपकरण और जैव रसायन तकनीक पर भी काम करता है। COVID-19 महामारी के दौरान DRDO ने कई मेडिकल उपकरण जैसे वेंटिलेटर, सैनिटाइजिंग चैम्बर्स और PPE किट्स का उत्पादन कर देश की स्वास्थ्य प्रणाली में भी योगदान दिया।
DRDO के कार्यों का मुख्य उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करना है। यह संगठन न केवल रक्षा उपकरणों के स्वदेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि निजी क्षेत्र, शिक्षा संस्थानों और स्टार्टअप्स के साथ भी सहयोग करता है, जिससे तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिले।
DRDO में देश के सर्वोत्तम वैज्ञानिक, इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ कार्य करते हैं। इसका नेतृत्व एक वैज्ञानिक करते हैं, जिन्हें “सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस R&D” और “डायरेक्टर जनरल, DRDO” कहा जाता है। वर्तमान में DRDO एक वैश्विक मान्यता प्राप्त संगठन बन चुका है और कई मित्र देशों के साथ रक्षा तकनीक साझा कर रहा है।
निष्कर्षतः DRDO भारत का गर्व है, जो विज्ञान और तकनीक के माध्यम से देश की रक्षा क्षमता को निरंतर सशक्त बना रहा है। इसकी उपलब्धियाँ न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूती देती हैं, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित करती हैं।
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