NT VASUDEVAN NAYAR

 

एन. टी. वासुदेवन नायर 

[भारत सरकार द्वारा 2025 में उन्हें मरणोपरांत पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया है ]

एन. टी. वासुदेवन नायर (N. T. Vasudevan Nair), जिन्हें आमतौर पर एम. टी. वासुदेवन नायर (M. T. Vasudevan Nair) के नाम से जाना जाता है, मलयालम भाषा के एक महान साहित्यकार, उपन्यासकार, पटकथा लेखक और फ़िल्म निर्देशक थे। वे 20वीं सदी के सबसे प्रतिष्ठित भारतीय लेखकों में से एक थे जिनका साहित्यिक योगदान न केवल मलयालम साहित्य में बल्कि सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में अमूल्य माना जाता है।

एम. टी. वासुदेवन नायर का जन्म 15 जुलाई 1933 को केरल के पलक्कड़ ज़िले के कूट्टनाडु गाँव में हुआ था। उनका बचपन ग्रामीण परिवेश में बीता, जहाँ की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक अनुभवों ने उनके लेखन को गहराई और यथार्थता प्रदान की। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के बाद अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। लेकिन उनकी आत्मा और सृजन शक्ति सदैव मलयालम भाषा से जुड़ी रही।

एम. टी. नायर ने अपनी साहित्यिक यात्रा एक कहानीकार के रूप में शुरू की। उनकी पहली प्रसिद्ध रचना "नालुकेट्टु" (1958) थी, जो एक उपन्यास है और मलयालम साहित्य में मील का पत्थर मानी जाती है। इस उपन्यास ने उन्हें केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार दिलाया और लेखक के रूप में स्थापित किया। इस उपन्यास में उन्होंने एक युवा लड़के की दृष्टि से बदलते पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक ढांचे को प्रस्तुत किया है।

उनकी लेखनी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे मानव संबंधों, आंतरिक संघर्षों और ग्रामीण जीवन की जटिलताओं को बेहद संवेदनशीलता और यथार्थ के साथ चित्रित करते हैं। उनके पात्र सामान्य जीवन के होते हुए भी गहरी भावनाओं और विचारों से युक्त होते हैं।

फिल्मों में भी एम. टी. वासुदेवन नायर का योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने कई प्रशंसित फ़िल्मों की पटकथाएं लिखीं जैसे – ओरु वडक्कन वीरगाथा, पंचाग्नि, और पेरुमाज़ाकालाम। उनकी लिखी फिल्में न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं, बल्कि आलोचकों द्वारा भी सराही गईं। उन्हें चार बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और कई राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें जे. सी. डैनियल पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, और केरल राज्य फिल्म पुरस्कार जैसे कई अन्य सम्मानों से नवाज़ा गया।

एम. टी. वासुदेवन नायर आज भी भारतीय साहित्य के जीवित किंवदंती हैं। उनकी रचनाएँ सामाजिक चेतना, मानवीय संवेदना और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी होती हैं। वे न केवल साहित्य के क्षेत्र में, बल्कि फिल्म जगत में भी एक प्रेरणास्रोत के रूप में स्थापित हैं।

 कुछ प्रमुख कृतियाँ और फ़िल्में दी गई हैं:


प्रमुख साहित्यिक कृतियाँ (Literary Works):

  1. नालुकेट्टु (Naalukettu) – उनका प्रसिद्ध उपन्यास जो मलयालम साहित्य में एक मील का पत्थर माना जाता है।
  2. मंजु (Mist) – एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक उपन्यास।
  3. कुत्ती एदयिमा (Kuttiedathi) – एक चर्चित लघु कहानी।
  4. इरुतीप्पत्ताम नूत्तांडु (The Twentieth Century) – आधुनिक समाज की आलोचना पर आधारित उपन्यास।
  5. असुरविथु (Asuravithu) – धार्मिक और सामाजिक संघर्षों पर आधारित उपन्यास।
  6. रणारंगम (Ranarangam) – युद्ध और संघर्षों के प्रतीकों के साथ गहरे सामाजिक संदर्भ।
  7. कायार (Kayar) – एक महाकाव्यात्मक उपन्यास जो 100 वर्षों के सामाजिक परिवर्तन को दर्शाता है।

प्रमुख फ़िल्में (Important Films):

लेखक के रूप में (As a Screenwriter):

  1. ओरु वडक्कन वीरगाथा (Oru Vadakkan Veeragatha) – एक ऐतिहासिक फिल्म जिसमें उन्होंने चुवन्नार वाडियार (चरित्र) को मानवीय दृष्टिकोण से पेश किया।
  2. पंचाग्नि (Panchagni) – एक सशक्त महिला पात्र पर आधारित क्रांतिकारी फिल्म।
  3. परिनयम (Parinayam) – विधवा पुनर्विवाह और समाज की रूढ़ियों पर आधारित फिल्म।
  4. निराक्कूट्टु (Nirakkoottu) – थ्रिलर और सामाजिक तत्वों का मिश्रण।
  5. ओरिदाथोरु फायलर (Oridathoru Phayalvaan) – ग्रामीण जीवन और कुश्ती की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म।
  6. पेरुमाझाकालाम (Perumazhakkalam) – क्षमा और इंसानियत की कहानी।

निर्देशक के रूप में (As a Director):

  1. नालुकेट्टु – अपने उपन्यास पर आधारित फिल्म।
  2. इरक्काल (Irattakkuttikalude Achan) – पिता और बच्चों के रिश्ते पर आधारित।
  3. कुलम (Kalam) – भावनात्मक और सामाजिक विषयों को छूती हुई फिल्म।
  4. कदवु (Kadavu) – मानवीय संवेदनाओं और नदी के प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाती फिल्म।

सम्मान व पुरस्कार:

       . पद्म विभूषण [2025]

  • पद्म भूषण (2005)
  • चार बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
  • केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार
  • सरस्वती सम्मान
  • जे. सी. डैनियल पुरस्कार



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