RAJPUTANA RIFLES

 

राजपूताना राइफल्स – भारतीय सेना की वीर रेजीमेंट 

राजपूताना राइफल्स भारतीय सेना की सबसे पुरानी पैदल सेना रेजीमेंट है। इसकी स्थापना वर्ष 1775 में हुई थी, जो इसे भारतीय सेना की सबसे प्राचीन रेजीमेंट्स में स्थान देती है। यह रेजीमेंट राजपूत योद्धाओं की परंपरा, साहस और बलिदान की मिसाल है।

राजपूताना राइफल्स का इतिहास ब्रिटिश भारतीय सेना के समय से शुरू होता है। इसका गठन मूल रूप से विभिन्न बटालियनों को मिलाकर किया गया था, जो राजपूताना क्षेत्र (वर्तमान राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कुछ भाग) से संबंधित थी। इस रेजीमेंट में मुख्य रूप से राजपूत, गुर्जर, जाट और अन्य उत्तर भारतीय समुदायों के बहादुर सैनिक होते हैं।

इस रेजीमेंट का आदर्श वाक्य है:
"वीर भोग्य वसुंधरा"
जिसका अर्थ है – "केवल वीर ही इस धरती पर अधिकार रखते हैं।" यह वाक्य इसकी युद्ध-कुशलता और जुझारूपन का प्रतीक है।

राजपूताना राइफल्स ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया और कई वीरता पुरस्कार प्राप्त किए। भारत की आज़ादी के बाद इस रेजीमेंट ने कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया, जैसे:

  • 1947-48 का भारत-पाक युद्ध (जम्मू-कश्मीर)
  • 1962 का भारत-चीन युद्ध
  • 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध
  • 1999 का कारगिल युद्ध – इस युद्ध में राजपुताना राइफल्स की 2वीं बटालियन (2 Raj Rif) ने तोलोलिंग और टाइगर हिल पर वीरता से लड़ाई लड़ी।

इस रेजीमेंट को कई परम वीर चक्र, महावीर चक्र, और वीर चक्र जैसे वीरता पदकों से सम्मानित किया गया है। रेजीमेंट के सैनिक अनुशासन, शौर्य और समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं।

राजपूताना राइफल्स का रेजिमेंटल सेंटर दिल्ली कैंट में स्थित है, जहाँ पर सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। यहाँ उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से युद्ध के लिए तैयार किया जाता है।

राजपूताना राइफल्स भारतीय सेना की एक गौरवशाली रेजीमेंट है जिसने देश की रक्षा में सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। यह रेजीमेंट परंपरा, बहादुरी और बलिदान की जीती-जागती मिसाल है और हर भारतीय को गर्वित करती है।

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