INS VIKRAMADITYA
INS विक्रमादित्य
INS विक्रमादित्य: भारतीय नौसेना का तैरता हुआ हवाई अड्डा
INS विक्रमादित्य भारतीय नौसेना का एक विमानवाहक पोत (Aircraft Carrier) है, जिसे नौसेना की हवाई क्षमता और समुद्री प्रभुत्व को बढ़ाने के लिए नौसेना में शामिल किया गया था। यह भारत का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली युद्धपोत है, जिसे रूसी विमानवाहक पोत ‘एडमिरल गोर्शकोव’ के रूप में जाना जाता था। इसे भारत ने रूस से खरीदा और आधुनिकीकृत कर भारतीय नौसेना में शामिल किया।
इतिहास और अधिग्रहण:
INS विक्रमादित्य मूलतः सोवियत संघ का विमानवाहक पोत था, जिसका नाम ‘Baku’ था। 1996 में इसे निष्क्रिय किया गया। भारत ने इसे वर्ष 2004 में $2.35 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से खरीदा और रूस के सेवमाश शिपयार्ड में इसका व्यापक पुनर्निर्माण और आधुनिकीकरण किया गया। 16 नवम्बर 2013 को इसे भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया और इसे 7 जनवरी 2014 को करवार, कर्नाटक स्थित नौसेना बेस में शामिल किया गया।
नाम का महत्व:
‘विक्रमादित्य’ नाम प्राचीन भारत के एक महान और पराक्रमी सम्राट से प्रेरित है, जो ज्ञान, शक्ति और न्याय के लिए प्रसिद्ध थे। यह नाम इस युद्धपोत के सामरिक बल और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है।
मुख्य विशेषताएँ:
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वजन और आकार:
- यह लगभग 44,500 टन वजनी है।
- इसकी लंबाई लगभग 284 मीटर और चौड़ाई लगभग 60 मीटर है।
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विमान संचालन क्षमता:
- INS विक्रमादित्य पर 30 से अधिक लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं।
- मुख्यत: मिग-29K लड़ाकू विमान, कामोव-31, HAL Chetak और HAL Dhruv जैसे हेलीकॉप्टर इस पर कार्यरत रहते हैं।
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स्प्रिंगबोर्ड टेक-ऑफ सिस्टम:
- इसमें STOBAR प्रणाली (Short Take-Off But Arrested Recovery) का उपयोग होता है, जिससे विमान कम दूरी से उड़ान भर सकता है और पकड़े जाने वाली प्रणाली से उतर सकता है।
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संचालन दल:
- इस युद्धपोत को चलाने और संचालित करने के लिए लगभग 1,600 से अधिक नौसैनिक तैनात रहते हैं।
रणनीतिक महत्त्व:
INS विक्रमादित्य भारतीय नौसेना के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह "ब्लू वाटर नेवी" की अवधारणा को साकार करता है, जिसका उद्देश्य भारत की समुद्री सीमा से बाहर भी प्रभाव बनाए रखना है। इसकी उपस्थिति हिंद महासागर क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है और भारत की समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करती है।
प्रमुख अभियानों में भागीदारी:
INS विक्रमादित्य कई सैन्य अभ्यासों जैसे मालाबार (Malabar), वारुणा (Varuna) और ट्रॉपेक्स (TROPEX) में भाग ले चुका है। यह भारत की नौसैनिक कूटनीति को भी बढ़ावा देता है और मित्र देशों के साथ संयुक्त अभ्यासों में भाग लेकर रणनीतिक साझेदारी मजबूत करता है।
निष्कर्ष:
INS विक्रमादित्य भारतीय नौसेना की ताकत का प्रतीक है। यह न केवल एक युद्धपोत है, बल्कि एक तैरता हुआ हवाई अड्डा है, जो भारत की समुद्री शक्ति, रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भर रक्षा नीति को दर्शाता है। इसके संचालन से भारत की समुद्री सीमाएँ अधिक सुरक्षित हुई हैं और भारत वैश्विक नौसेना शक्ति के रूप में उभर रहा है।
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