BALTIC SEA
बाल्टिक सागर (Baltic Sea)
परिचय:
बाल्टिक सागर उत्तरी यूरोप में स्थित एक अर्द्ध-संलग्न समुद्र है, जो अटलांटिक महासागर से जुड़ा हुआ है। यह सागर यूरोप के कई देशों की सीमाओं को छूता है और ऐतिहासिक, भौगोलिक तथा आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी गहराई अपेक्षाकृत कम है और जलवायु ठंडी होती है।
स्थिति और विस्तार:
बाल्टिक सागर उत्तर में स्वीडन और फ़िनलैंड, दक्षिण में पोलैंड और जर्मनी, पश्चिम में डेनमार्क तथा पूर्व में एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और रूस से घिरा हुआ है। यह सागर उत्तरी सागर से डेनिश जलडमरूमध्य (Danish Straits) के माध्यम से जुड़ा है। इसकी लंबाई लगभग 1,600 किलोमीटर और औसत चौड़ाई लगभग 193 किलोमीटर है।
प्रमुख विशेषताएँ:
- कम लवणता (Salinity): बाल्टिक सागर का पानी अत्यंत कम लवणीय (Brackish) है, क्योंकि इसमें कई नदियाँ (जैसे नीवा, डावगावा, विस्थुला) अपना मीठा जल लाकर मिलाती हैं।
- जमी हुई सतह: सर्दियों में इसका उत्तरी और पूर्वी भाग अक्सर बर्फ से ढक जाता है।
- प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र: यहाँ की जैव विविधता सीमित है, लेकिन यह समुद्र कई मछलियों और समुद्री पक्षियों का घर है।
- प्रदूषण की समस्या: बाल्टिक सागर विश्व के सबसे प्रदूषित समुद्रों में से एक माना जाता है। खेती में उपयोग होने वाले उर्वरकों और औद्योगिक अपशिष्टों के कारण इसमें यूरोफिकेशन (Eutrophication) की समस्या उत्पन्न हो रही है।
आर्थिक महत्त्व:
बाल्टिक सागर व्यापारिक मार्गों के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है। इसके तटवर्ती देशों के बंदरगाहों से बड़ी मात्रा में वस्तुओं का आयात-निर्यात होता है। सेंट पीटर्सबर्ग (रूस), रिगा (लातविया) और ग्दान्स्क (पोलैंड) जैसे बंदरगाह व्यापार के प्रमुख केंद्र हैं। इसके अतिरिक्त यह क्षेत्र पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है।
निष्कर्ष:
बाल्टिक सागर न केवल यूरोप के पर्यावरण और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक केंद्र भी रहा है। पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए इसमें हो रहे प्रदूषण को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि इसकी जैव विविधता और समुद्री जीवन सुरक्षित रह सके।
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