TRACTION SUB STATION

 

ट्रैक्शन सब स्टेशन (Traction Substation) – रेलवे की विद्युत आपूर्ति की धुरी

ट्रैक्शन सब स्टेशन (TSS) भारतीय रेलवे की विद्युत चालित ट्रेनों को बिजली प्रदान करने के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र है। इसका कार्य उच्च वोल्टेज (132 या 220 किलोवोल्ट) की बिजली को लेकर उसे रेलवे की जरूरत के अनुसार 25 किलोवोल्ट एसी में परिवर्तित कर ओवरहेड लाइन (OHE) में भेजना होता है। यह प्रक्रिया ट्रेनों को निरंतर और सुरक्षित विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करती है।

ट्रैक्शन सब स्टेशन कैसे काम करता है?

  1. उच्च वोल्टेज इनपुट: TSS को बिजली राज्य विद्युत बोर्ड (State Electricity Board) या केंद्रीय ग्रिड से 132/220 KV वोल्टेज पर प्राप्त होती है।
  2. ट्रांसफॉर्मर द्वारा परिवर्तन: इस उच्च वोल्टेज को विशेष ट्रैक्शन ट्रांसफॉर्मर के माध्यम से 25 KV तक घटाया जाता है।
  3. फीडिंग: 25 KV की यह बिजली ओएचई (Overhead Equipment) सिस्टम को फीड की जाती है।
  4. प्रोटेक्शन सिस्टम: TSS में सर्किट ब्रेकर, आइसोलेटर, फ्यूज़ और रिले लगे होते हैं, जो शॉर्ट सर्किट या अन्य विद्युत दोषों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

ट्रैक्शन सब स्टेशन के प्रमुख घटक:

  • ट्रैक्शन ट्रांसफॉर्मर
  • 25 केवी आउटगोइंग ब्रेकर
  • नियंत्रण कक्ष (Control Room)
  • शंट रिएक्टर और कैपेसिटर बैंक
  • अर्थिंग सिस्टम और लाइटनिंग अरेस्टर

महत्व:

  • TSS ट्रेनों की निर्बाध बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करता है।
  • यह रेल संचालन को कुशल, पर्यावरण-अनुकूल और लागत प्रभावी बनाता है।
  • बिजली की गुणवत्ता और वोल्टेज को नियंत्रित रखता है।

निष्कर्षतः, ट्रैक्शन सब स्टेशन रेलवे के विद्युतीकरण का प्रमुख आधार स्तंभ है। इसके माध्यम से ट्रेनों को मिलने वाली बिजली न केवल सुचारू रूप से संचालन को संभव बनाती है, बल्कि रेलवे को ऊर्जा कुशल और आधुनिक परिवहन प्रणाली का हिस्सा भी बनाती है।

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