KOOZHA KATHAL
कूझा कटहल (Koozha Kathal) – पारंपरिक नरम गूदे वाली कटहल की किस्म
कूझा कटहल, जिसे दक्षिण भारत के विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु में उगाया जाता है, एक पारंपरिक और देसी किस्म है। यह कटहल मुख्य रूप से अपने नरम, लचीले और अत्यधिक रसीले गूदे के लिए जानी जाती है। “कूझा” शब्द मलयालम भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “ढीला या नरम” – जो इसके गूदे की बनावट को दर्शाता है।
कूझा कटहल का फल आकार में मध्यम से बड़ा होता है और इसका बाहरी छिलका सामान्यतः हरा और कांटेदार होता है। पकने पर यह पीले या सुनहरे रंग में बदल जाता है और एक तेज, मीठी सुगंध देने लगता है जो दूर से ही महसूस की जा सकती है। इस कटहल का गूदा इतना मुलायम होता है कि इसे चम्मच से भी आसानी से खाया जा सकता है। इसके फल के बीज भी बड़े और खाने योग्य होते हैं।
कूझा कटहल को अक्सर पका हुआ ताजे फल के रूप में खाया जाता है, लेकिन इससे हलवा, चटनी, जैम, आइसक्रीम और परंपरागत व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इसे दूध और नारियल के साथ मिलाकर स्वादिष्ट पेय भी तैयार किया जाता है।
इस कटहल में भरपूर मात्रा में विटामिन A, C, फाइबर, पोटैशियम, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। यह पाचन में सहायक होता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और त्वचा तथा आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
कूझा कटहल न केवल स्वाद और पौष्टिकता का प्रतीक है, बल्कि यह स्थानीय सांस्कृतिक भोजन का भी अहम हिस्सा है। इसकी मुलायम बनावट और मीठा स्वाद इसे हर उम्र के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाता है। यह पारंपरिक स्वाद की एक सुंदर मिसाल है।
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