KAPOOREE KATHAL
कपूरि कटहल (Kapooree Kathal) – सुगंध और स्वाद की परंपरागत विरासत
कपूरि कटहल भारत में पाई जाने वाली एक प्रसिद्ध पारंपरिक किस्म है, जो मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में उगाई जाती है। इस किस्म का नाम "कपूरि" उसकी विशेष तेज, सुगंधित खुशबू के कारण पड़ा है, जो कपूर जैसी गंध देती है। यह कटहल स्वाद, सुगंध और कोमलता के कारण स्थानीय बाजारों में काफी पसंद किया जाता है।
कपूरि कटहल का आकार मध्यम से बड़ा होता है और इसका बाहरी हिस्सा हरा और कांटेदार होता है, जो पकने पर पीला या हल्का भूरा हो जाता है। फल के पकते ही इसकी तेज मीठी खुशबू पूरे वातावरण को महका देती है। इसका गूदा पीले रंग का, अत्यंत मुलायम और मीठा होता है। यह इतनी सुगंधित होती है कि दूर से ही इसकी पहचान हो जाती है।
यह किस्म गर्मियों के मध्य (मई-जून) में तैयार होती है और अधिकतर ताजे फल के रूप में खाई जाती है। कपूरि कटहल के गूदे का उपयोग मिठाइयों, जैम, आइसक्रीम और परंपरागत व्यंजनों में भी किया जाता है। इसके बीज भी स्वादिष्ट होते हैं और उबालकर या भूनकर खाए जाते हैं।
इस कटहल में विटामिन A, C, पोटैशियम, कैल्शियम और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं, शरीर को ऊर्जा देते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।
कपूरि कटहल, स्वाद और सुगंध की पारंपरिक पहचान है। यह न केवल ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि विरासत का हिस्सा है, बल्कि पोषण और स्वाद के मामले में भी एक उत्कृष्ट विकल्प है। इसकी विशिष्ट सुगंध इसे अन्य किस्मों से अलग बनाती है।
Comments
Post a Comment