CASH CROPS IN INDIA

 भारत में नकदी फसलें (Cash Crops in India) – विस्तृत विवरण

नकदी फसलें वे फसलें होती हैं, जिन्हें मुख्य रूप से बाजार में बेचकर किसानों को नकद आय प्राप्त करने के लिए उगाया जाता है। ये फसलें आत्म-उपभोग की बजाय व्यापारिक उद्देश्य से पैदा की जाती हैं। भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में नकदी फसलों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि ये किसानों की आय बढ़ाने, उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराने और निर्यात को प्रोत्साहित करने में सहायक होती हैं।

भारत की प्रमुख नकदी फसलों में कपास, गन्ना, जूट, चाय, कॉफी, रबर, तंबाकू और तिलहन शामिल हैं। कपास देश की सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है, जो वस्त्र उद्योग का आधार है। महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और पंजाब इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। गन्ना चीनी, गुड़ और एथेनॉल उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल है और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।

जूट को “सुनहरा रेशा” कहा जाता है और इसका उपयोग बोरे, रस्सी और कालीन बनाने में होता है। पश्चिम बंगाल, असम और बिहार इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। चाय और कॉफी भारत की प्रसिद्ध बागानी नकदी फसलें हैं। असम, पश्चिम बंगाल और केरल में चाय का उत्पादन अधिक होता है, जबकि कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु कॉफी उत्पादन के लिए जाने जाते हैं।

रबर मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में उगाया जाता है और टायर तथा अन्य औद्योगिक उत्पादों में प्रयुक्त होता है। तंबाकू एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल है, जो आंध्र प्रदेश और गुजरात में उगाई जाती है। इसके अलावा मूंगफली, सरसों और सोयाबीन जैसी तिलहन फसलें भी नकदी फसलों में शामिल हैं।

नकदी फसलें ग्रामीण रोजगार बढ़ाने, कृषि-आधारित उद्योगों के विकास और विदेशी मुद्रा अर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हालांकि, इनके उत्पादन में बाजार मूल्य, मौसम और लागत जैसे जोखिम भी जुड़े होते हैं। फिर भी, भारतीय कृषि में नकदी फसलें आर्थिक प्रगति का मजबूत आधार बनी हुई हैं।

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