TANGO DANCE

 टैंगो नृत्य (Tango Dance) 

टैंगो नृत्य विश्व के सबसे भावनात्मक और अभिव्यक्तिपूर्ण नृत्य रूपों में से एक है। इसकी उत्पत्ति 19वीं शताब्दी के अंत में अर्जेंटीना और उरुग्वे के सीमावर्ती क्षेत्रों में हुई, विशेष रूप से अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में। समय के साथ टैंगो केवल एक नृत्य नहीं रहा, बल्कि प्रेम, विरह, जुनून और जीवन के संघर्षों की अभिव्यक्ति बन गया।

टैंगो नृत्य आमतौर पर एक जोड़े द्वारा किया जाता है, जिसमें पुरुष और महिला के बीच गहरा तालमेल, संतुलन और संवाद देखने को मिलता है। इसमें नृत्य करने वाले कलाकार एक-दूसरे के बहुत करीब रहते हैं, जिसे “क्लोज़ एम्ब्रेस” कहा जाता है। टैंगो की चालें तेज, नियंत्रित और सटीक होती हैं, जिनमें पैरों की जटिल गतियाँ, अचानक रुकना और घुमाव शामिल होते हैं। यही विशेषताएँ टैंगो को अन्य नृत्य शैलियों से अलग बनाती हैं।

टैंगो संगीत इस नृत्य का अभिन्न हिस्सा है। इसमें मुख्य रूप से बैंडोनियन नामक वाद्य यंत्र का प्रयोग होता है, जो टैंगो को उसकी विशिष्ट उदास और गहरी ध्वनि देता है। इसके अलावा वायलिन, पियानो और गिटार भी टैंगो संगीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। टैंगो गीतों के बोल अक्सर प्रेम, अकेलापन और सामाजिक जीवन से जुड़े होते हैं।

समय के साथ टैंगो के कई रूप विकसित हुए हैं, जैसे अर्जेंटीनी टैंगो, बालरूम टैंगो और टैंगो न्यूवो। अर्जेंटीनी टैंगो को सबसे पारंपरिक और भावनात्मक माना जाता है, जबकि बालरूम टैंगो अधिक संरचित और प्रतियोगिताओं के लिए उपयुक्त होता है।

टैंगो नृत्य को वर्ष 2009 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी गई। आज टैंगो दुनिया भर में लोकप्रिय है और कई देशों में टैंगो फेस्टिवल और प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।

कुल मिलाकर, टैंगो नृत्य केवल शारीरिक गतिविधि नहीं, बल्कि भावनाओं की गहरी अभिव्यक्ति है, जो मानव संबंधों की जटिलताओं और सौंदर्य को दर्शाता है।

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